आज है देश के मिसाइल मैन की पुण्यतिथि, जानिए क्यों उन्हें लोगो का राष्ट्रपति कहा जाता था?

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पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम भले ही हमारे बीच न हो, लेकिन उनकी कही बाते सदैव हमारा मार्गदर्शन करती रहेंगी। देश के 11वे राष्ट्रपति अब्दुल कलाम का निधन 27 जुलाई 2015 को शिलॉन्ग मे लेक्चर देते वक्त हुआ था।

उनका पूरा जीवन सादगी के साथ ही गुज़रा था भले ही वे देश की सर्वोच्च संविधानिक कुर्सी पर विराजमान रहे, पर उन्होंने अपना पूरा जीवन सादगी के साथ जिया और यही उनकी सबसे बड़ी विशेषता थी।

आज है देश के मिसाइल मैन की पुण्यतिथि, जानिए क्यों उन्हें लोगो का राष्ट्रपति कहा जाता था?

राष्ट्रपति भवन की इफ्तार पार्टी बंद कराकर कलाम ने 28 अनाथालयो को दान कर दिए थे पैसे

यह किस्सा रमज़ान के महीने की इफ़्तार पार्टी से जुड़ा है, जिन्हें उन दिनों राष्ट्रपति भवन मे आयोजित किया जाता था। एपीजे अब्दुल कलाम ने अपने कार्येकाल मे ऐसी बहुत से कार्ये बंद कराए थे, जिससे पैसे बेवजह खर्च होते थे।

दिन उनको राष्ट्रपति भवन के अफसर ने यह जानकारी दी कि राष्ट्रपति भवन मे इफ्तार पार्टी का आयोजन किया जाना है। राष्ट्रपति कलाम ने अपने सचिव पीके नायर समेत अन्य अफसरों को इसके लिए बुलाया।

जब वो सभ कलाम के पास पहुचे तो कलाम ने पूछा कि राष्ट्रपति भवन मे इफ्तार पार्टी की ज़रूरत क्या है। अफसर तमाम बातें कहते रहे, लेकिन कलाम ने यह कहा कि राष्ट्रपति भवन को इसके खर्च की ज़रूरत क्या है?

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कलाम ने कहा कि इसके पूरे खर्च की जानकारी उन तक पोहोचाई जाए। राष्ट्रपति के पूछने के बाद भवन के अफसरों ने उन्हें बताया कि इफ्तार पार्टी का एक रोज का खर्च करीब ढाई लाख रुपये है और इसमें देश के तमाम बड़े लोग शामिल होते है।

जानकारी मिलने के बाद कलाम ने कहा कि राष्ट्रपति भवन मे इफ्तार पार्टी की ज़रूरत नही है और इस पैसे को देश के अनाथालयों को दान किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इफ्तार पार्टी मे हमारे यहां जो लोग आते भी है वो समृद्ध है और उन्हें इससे कोई खास फर्क नही पड़ने वाला है।

इफ्तार पार्टी के जो पैसे बचे कलाम ने उन्हें देश के अनाथालयों मे बच्चो को दान करने का फैसला किया और जिसके बाद देश भर मे 28 अनाथालयों को कलाम की ओर से वितयी मदद भेजी गई।

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परिवार घूमने दिल्ली आया तो खुद की तनख्वाह से कटवाए थे पैसे

जी हां, जब कलाम के परिवार के तमाम लोग दिल्ली आए और कलाम ने सभी के खाने, रहने, और घूमने के खर्च के लिए अपनी तनख्वाह से राष्ट्रपति भवन को करीब साढ़े तीन लाख रुपये का भुगतान किया था।

कलाम राष्ट्रपति होने के बाद भी आम जीवन समझते थे क्योंकि उन्होंने भी वो जीवन पहले जिया था और इस कारण ही उन्हें जनता का राष्ट्रपति कहा जाता था।

Written by – Harsh Datt