कोरोना वायरस ने बदला राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का नज़रिया, पहली बार परिवार संग लगाई एक घंटे की शाखा

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 कोरोना वायरस ने बदला राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का नज़रिया, पहली बार परिवार संग लगाई एक घंटे की शाखा

हालात बदलते ही व्यक्ति हो या किसी संस्थान में परिवर्तन शीघ्र शुरू होना आसान होता है, लेकिन जब
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा अपने मूल सिद्धांतों को छोड़ने की बात आए तो यह बात समझ से परे होती है।

कोरोना वायरस ने बदला राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का नज़रिया, पहली बार परिवार संग लगाई एक घंटे की शाखा

देश भर में वैश्विक बीमारी कोरोना वायरस को लेकर मैदानों में शाखा बंद होने के बाद स्वयंसेवकों द्वारा गतिशील बनाए रखने के लिए कुटुंब शाखा की शुरुआत कर दी। आपको बता दें, संघ के इतिहास में पहली बार सभी स्वयंसेवक अपने-अपने घरों में परिवार के साथ एक घंटे की शाखा लगा रहे हैं।

आरएसएस के सरकार्रवाह भय्याजी जोशी की माने तो अब पूरे देश में एक साथ 19 अप्रैल की शाम अपने-अपने घरों में संघ की प्रार्थना करने का आह्वान किया जाएगा।

इसके लिए एक निश्चित 5.30 बजे शाम की समयावधि तय की गई है। जिसमें लगभग 50 लाख परिवारों के शामिल होने की संभावना है। संघ के एक केंद्रीय अधिकारी ने जानकारी देते हुए बताया कि यह एक अस्थायी व्यवस्था है। उन्होंने बताया जैसे ही कोरोना वायरस के उपरांत परिस्थितियां सामान्य होने लगेंगी तो उसके बाद मैदानों में शाखा लगनी शुरू हो जाएगी।

कोरोना वायरस ने बदला राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का नज़रिया, पहली बार परिवार संग लगाई एक घंटे की शाखा

आरएसएस के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत भी कई बार यह बात दोहरा चुकें है कि भारत माता को परम वैभव पर पहुंचाने के मूल उद्देश्य को छोड़कर संघ ने समय एवं परिस्थिति के अनुसार अपने को बदलने में कभी भी परहेज नहीं किया।आज यही कारण है कि 95 वर्षों के बाद भी संघ निर्बाध रूप से विश्व का सबसे बड़ा संगठन बना हुआ है। संघ में बदलाव का ही नतीजा है कि स्वयंसेवकों के गणवेश में भी संघ समय-समय पर परिवर्तन करता रहा। हाफ पैंट की जगह फुलपैंट होने के साथ ही अब चमड़े का कोई भी सामान स्वयंसेवकों के गणवेश में शामिल नहीं है। उन्होंने बताया कि अब जूता भी अब कपड़े का ही बनाया जाने लगा है।

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