क्या याद है आपको वह सोनम वांगचुक जिन्होंने चीनी सामान के बहिष्कार के लिए चलाई थी मुहीम। उनकी इस मुहिम कीवैज्ञानिक एवं शिक्षाविद के उत्पादों और अन्य मोबाइल एप्लीकेशन पर रोक लगाई गई।
सूत्रों के हवाले से खबर आ रही है कि इस वर्ष का लोकमान्य तिलक नेशनल अवार्ड वैज्ञानिक एवं शिक्षाविद सोनम वांगचुक को दिया जाएगा।
जानिए क्रांतिकारी विचारों वाले सोनम वांगचुक के बारे में
भारत में सोनम वांगचुक चीनी सामान के बहिष्कार पर बनाए गए वीडियो के कारण प्रसिद्ध है। गौर करने की बात यह है कि सोनम को नव वर्ष की उम्र तक स्कूल नहीं भेजा गया। उन्हें शुरुआती शिक्षा घर पर ही अपनी मां से मिली। बाद में उन्होंने दिल्ली के केन्द्रीय विद्यालय मैं एडमिशन लिया। अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने 1988 में स्टूडेंट्स एजूकेशनल एवं कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख (एसईसीएमओएल) की स्थापना की।
जानिए लोकमान्य तिलक के बारे में
इस अवार्ड के नाम से ही आप अंदाजा लगा सकते हैं कि यह अवार्ड लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक से जुड़ा हुआ है।
जिस प्रकार लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने भारत में स्वराज्य, स्वदेशी, राष्ट्रीय शिक्षा एवं बहिष्कार जैसे सिद्धांतों को आगे बढ़ाया था। उसी प्रकार सोनम वांगचुक ने भी लद्दाख भारत सीमा के विवाद के चलते हुए चाइना के सामान के बहिष्कार पर बढ़ावा दिया। उन्होंने इस पर एक वीडियो बनाया जो भारत में खूब वायरल हुआ।
आपको बता दें कि लोकमान्य तिलक पत्रकारिता अवार्ड लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक की स्मृति में पत्रकारिता के क्षेत्र में दिया जाता है। इसमें एक स्वर्ण पदक, एक स्मृति चिन्ह, एक प्रशस्ति पत्र और 1 लाख रुपए शामिल हैं।
लोकमान्य तिलक अवार्ड सबसे पहले केसरी मराठा ट्रस्ट के पत्रकार वीर सांघवी को उनकी लाजवाब पत्रकारिता के लिए दिया गया था।इससे बाद इसरो के चेयरपर्सन के सिवन को भी लोकमान्य तिलक अवार्ड सें नवाजा जा चुका है।
दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को भी लोकमान्य तिलक अवार्ड से सम्मान किया जा चुका है।इतना ही नहीं बल्कि कल्याणी ग्रुप के चेयरमैन बाबा कल्याणी के मालिक लोकमान्य तिलक को भी यह महत्त्वपूर्ण अवार्ड दिया जा चुका है।
Written by- Vikas Singh