कोरोना काल में घरों में बंद बुजुर्ग जूझ रहे हैं मानसिक बीमारियों से, ऐसे रखें ख्याल

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    लॉकडाउन से अनलॉक में तो भारत आ रहा है | अनलॉक में बहुत सी गतिवधियां खुल चुकी हैं, लेकिन महामारी के डर से घरों में बंद बुजुर्ग मानसिक तनाव से जूझ रहे हैं | विशेषज्ञों का कहना है कि इस समय मानसिक बीमारियों का बढ़ना स्वाभाविक है | कोरोना वायरस के प्रकोप के चलते दुनिया लगभग बंद सी हो थी| देशव्यापी लॉकडाउन के चलते लोग घरों में सिमट गए थे | घर से लेकर सूचना के तमाम माध्यमों से बुजुर्गों के लिए खतरे की चेतावनी का प्रसारित होना तनाव के स्तर को दिनोंदिन बढ़ा रहा है |

    कोरोना काल में घरों में बंद बुजुर्ग जूझ रहे हैं मानसिक बीमारियों से, ऐसे रखें ख्याल

    कोई भी ऐसी चीज नहीं होती जिसको रोका नहीं जा सकता | बुजुर्गों का मानसिक तनाव भी रोका जा सकता है | फरीदाबाद के ईएसआईसी अपस्पताल के डॉक्टर्स का कहना है कि कोरोना मरीज तो आते ही हैं, लेकिन दिन में 15 से 20 कॉल बुजुर्गों के मानसिक बीमारियों के संबंध में आते हैं |

    कोरोना काल में घरों में बंद बुजुर्ग जूझ रहे हैं मानसिक बीमारियों से, ऐसे रखें ख्याल

    महामारी की ख़बरें सोशल मीडिया से लेकर प्रिंट मीडिया सभी जगह छाई हुई हैं | विशेषज्ञों का कहना है कि बुजुर्गों को ऐसी स्थिति से बचाव के लिए जरूरी है कि उन्हें बात-बात पर रोका टोका न जाए | कोरोना के डर से लोग इतना ज्यादा तनाव में हैं कि वह हर वक़्त इसके बारे में ही सोचने लगे हैं | घर में, फोन काल पर, टीवी पर, पेपर में, सोशल साइट्स पर कोरोना छाया हुआ है | इसका दुष्प्रभाव सबसे ज्यादा वृद्धों पर पड़ रहा है |

    हर जगह ये छाया हुआ है कि कोरोना का खतरा बुजर्गों को ज्यादा है | एक रिपोर्ट के अनुसार वृद्धों में संक्रमण का खतरा ज्यादा होने की जानकारी तनाव के स्तर को बढ़ा रही है | इससे उनमें झल्लाहट, गुस्सा और चिड़चिड़ापन बढ़ रहा है | नतीजन वे समय पर खाना, सोना, घूमना यहां तक कि दवा लेना भी नजरअंदाज करने लगे हैं | ऐसी स्थिति घातक सिद्ध हो सकती है |

    कोरोना काल में घरों में बंद बुजुर्ग जूझ रहे हैं मानसिक बीमारियों से, ऐसे रखें ख्याल

    महामारी ने सभी की जिंदगियां बदल के रख दी हैं | मनोविश्लेषक सलाह देते हैं कि तनाव से बचने का एक तरीका स्थितियों को स्वीकार कर लेना भी है | हो सकता है कि कोरोना वायरस से पैदा हुई इस आपात स्थिति में कुछ लोग मानसिक या शारीरिक परेशानियों के साथ-साथ आर्थिक नुकसान भी उठा रहे हों | ऐसे में केवल यह याद रखे जाने की जरूरत है कि जान है तो जहान है | हो सकता है, कुछ लोगों को यह समाधान स्थितियों का अति-सरलीकरण लगे लेकिन फिलहाल कोई और विकल्प मौजूद नहीं है |

    कोरोना के मामले दिनों – दिन बढ़ते जा रहे हैं महामारी पर काबू पाने के लिए सभी अपने स्तर पर प्रयास कर रहे हैं | मनोविज्ञानियों के मुताबिक अच्छी नींद, पोषक भोजन, साफ वातावरण, व्यायाम और लोगों से मेल-जोल इंसान की मूलभूत ज़रूरतें हैं, इसलिए इसके विकल्प तलाशे जाने की ज़रूरत है | उदारहरण के लिए अपने घर वालों या दोस्तों से लगातार फोन पर संपर्क रखना या वीडियो चैट करना, दोनों तरफ के लोगों को सामान्य बने रहने में मदद करेगा |