स्कूलों की फीस : कोरोना के महामारी के कारण महिओं से बंद पड़े स्कूल, चिंता का विषय बनता जा रहा है | हरियाणा हाई कोर्ट ने निजी स्कूलों को ट्यूशन फीस के साथ ही वार्षिक शुल्क, ट्रांसपोर्ट फीस और बिल्डिंग चार्ज वसूलने की इजाजत दी थी. लेकिन अभिभावक वो देने से इंकार कर रहे हैं | पेरेंट्स का कहना है कि ऑनलाइन कक्षा के लिए हजारों रूपए उनके पास नहीं है |
हरियाणा में स्कूल मालिकों के लिए जो फैसला कोर्ट ने लिया था, उस से थोड़ी राहत स्कूल मालिकों को मिली थी | लेकिन अभिभावक भी अपनी जगह सही हैं | आज कल स्कूल वाले शिक्षा कम देते हैं पैसा ज्यादा लेते हैं |
महामारी की मार से सभी गुजर रहे हैं | बहुत से लोगों की नौकरियां चली गयी हैं | फीस माफी की आस लगाए बैठे लाखों अभिभावकों को झटका लगा था कोर्ट के फैसले से | लॉकडाउन में चाहे किसी स्कूल ने ऑनलाइन क्लास की सुविधा दी है या नहीं, सभी स्कूल इस अवधि की फीस अभिभावकों से वसूल सकते हैं, लेकिन अभिभावकों की मांग अलग है |
स्कूल मालिकों ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि सभी पेरेंट्स आर्थिक तंगी के शिकार नहीं हो सकते, वे बहाना फीस न देने का बहाना मार रहे हैं | बता दें जस्टिस कौर ने पंजाब के निजी स्कूलों की याचिका पर उन्हें राहत देते हुए ट्यूशन फीस के साथ एडमिशन फीस लेने की भी मंजूरी दी थी इसी के तर्ज पर हरियाणा में भी मंजूरी मिली थी |
स्कूल मालिकों का जो कहना है वे बेशर्मी बयां करता है | आर्थिक नुकसान किसी को भी हो सकता है | ऐसे में उनका यह कहना कि सभी को नाहीं हो सकता आर्थिक नुक्सान उनकी लालच को साफ़ दिखाता है | हाई कोर्ट ने कहा था कि लॉकडाउन की अवधि के लिए स्कूल अपने वार्षिक चार्ज भी वसूल सकते हैं, लेकिन इस साल फीस नहीं बढ़ा सकते |
हाई कोर्ट ने कहा है कि यदि कोई विद्यार्थी स्कूल छोड़ना चाहता है और वे सरकारी स्कूल में दाखिला लेना चाहता है तो प्राइवेट स्कूल इसमें अड़चन नहीं दाल सकते | सभी जरूरी सर्टिफिकेट्स विद्यार्थी को तुरतं उपलब्ध हो जाने चाहिए |