महिला थानों में पीड़ित महिलाओं की नही होती सुनवाई:- अम्बिका शर्मा

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राष्ट्रीय महिला जागृति मंच की संस्थापक व राष्ट्रीय चेयरपर्सन अम्बिका शर्मा जी लगभग 5 सालों से महिला उत्थान के लिए कार्य कर रही हैं।आये दिन पीड़ित महिलाएं अपनी शिकायत लेकर अम्बिका शर्मा जी से मिलती रहती हैं या फोन पर मदद मांगती हैं।

ज्यादातर महिलाएं अपने ही परिवार में पति, सास, ससुर, जेठ, देवर, ननद से घरेलू हिंसा, मानसिक प्रताड़ना, यौन शोषण, दहेज से पीड़ित होती रहती हैं। परिवार वाले इतने बेरहम हो जाते हैं कि अपने ही परिवार की सदस्य यानी बहु, बेटी को रोज प्रताड़ना देते रहते हैं।

अम्बिका शर्मा जी के पास जो महिलाएं अपनी समस्या लेकर आती है उनका कहना है कि जब वो पीड़ित महिला अपनी शिकायत लेकर महिला थाने जाती है तो वहाँ भी उनकी सुनवाई नही होती हैं। वहाँ भी अपराधी पक्ष यानी लड़के ओर उसके परिवार का ही पक्ष लिया जाता है।

पीड़ित महिला को बार बार महिला थाने के चक्कर लगाने पड़ते हैं जबकि अपराधी पक्ष बाहर से ही साठ गाँठ कर खुला घूमता रहता है। महिलाओं की उम्मीद बने महिला थानों में भी महिला की बजाए पुरुष की ज्यादा सुनवाई होती है।

अम्बिका शर्मा जी के पास सिर्फ फरीदाबाद ही नही भारत देश के हर राज्य से पीड़ित महिलाओं की शिकायत आती है कि महिला थाने में उनकी सुनवाई नही हो रही है।

अम्बिका शर्मा उनके नजदीकी महिला थाने में खुद फोन पर सम्पर्क करके पीड़ित महिलाओं की मदद कर रही हैं। जब से देश मे महिला थाने खुले है तब से महिलाओं में खुशी की लहर दौड़ गई थी लेकिन हुआ इसके बिल्कुल विपरीत।

मदद की बजाय पीड़ित महिलाओं को बार बार थाने के चक्कर लगाने पड़ते है। थाने में तैनात महिला अधिकारियों के ताने व डांट सुननी पड़ती है। कई बार तो ये अधिकारी पीड़ित महिला को सबके सामने बहुत ही शर्मसार भी करते है।

अम्बिका शर्मा का मानना है कि अगर महिला थानों में पीड़ित महिलाओं की अच्छे ढंग से सुनवाई हो और अपराधी पक्ष के साथ कठोरता से पेश आया जाए तो देश मे महिला उत्पीड़न लगभग खत्म ही हो जाएगा लेकिन इसके लिए भ्रष्टाचार मुक्त प्रशाशन की आवश्यकता है।