कोरोना के बढ़ते मामलों से शहरवासी परेशान हैं वहीं दूसरी तरफ जिला स्वास्थ्य विभाग कोरोनावायरस वालों के लिए सिरदर्द बन रहा है विभाग की टीम में या तो मरीज के ठीक होने पर उनके घर पहुंचती है या फिर 10 से 15 दिन बाद उनसे संपर्क करती है
जिससे लोगों को परेशानियां झेलनी पड़ रही है ठीक होने वाले लोग अगर विरोध करें तो टीम मुकदमा दर्ज करवाने की धमकी देती है ऐसी पीड़ितों ने अपने दर्द साझा किए और बताया
नही मिला सर्टिफिकेट
बल्लभगढ़ निवासी हरेंद्र ने बताया कि 8 जून से निजी अस्पताल में दाखिल उसकी पत्नी की 9 जून को पॉजिटिव रिपोर्ट आई थी कि गत 25 जून को होने की आशा वर्कर का फोन आया तो उन्होंने बताया कि पत्नी ठीक है लेकिन 26 जून को सुभाष कॉलोनी से आशा वर्कर को भेज दिया
जिस पर वह खुद स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे और उन्हें पूरी जानकारी दें जहां उनसे जानकारी लेकर हस्ताक्षर कराए विभाग ने उन्हें सर्टिफिकेट देने की बात कही तो जो बुधवार तक नहीं मिला
आठ दिन बाद ली जानकारी
50 वर्षीय राजेंद्र 15 जुलाई को एक निजी अस्पताल में दाखिल हुए थे 16 जुलाई को पॉजिटिव बताया गया 23 जुलाई ठीक हो कर घर पहुंचे तो स्वास्थ्य विभाग की टीम पहुंची टीम ने पानी वाले दूध वाले और अन्य संपर्क में लोगों के लिए बारे में पूछताछ की जानकारी न देने पर मामला दर्ज कराने की धमकी देने लगे
जानकारी देने के बाद भी संपर्क में आए लोगों से अब तक कोई संपर्क नहीं किया गया उनका कहना है कि विभाग ने सिर्फ कागज पूरे करने के लिए खानापूर्ति कर रहा है
10 दिन बाद ली सुध
राजकुमार ने बताया कि 1 जून को बुखार होने पर सेक्टर आठ स्थित निजी अस्पताल में भर्ती हुए थे जहां 2 जून को रिपोर्ट पॉजिटिव आई 4 दिन अस्पताल में रखा गया और घर भेज दिया
गया 21 दिन के लिए घर में ही रहने के निर्देश जारी हुई लेकिन घर पहुंचने के 10 दिन बाद स्वास्थ्य विभाग की टीम आई और जानकारी लेकर चली गई लेकिन इसके बाद उन्होंने उनसे कोई संपर्क नहीं किया