सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट : जिले मेंहर जगह कोरोना की ख़बरें हैं, लेकिन ग्रामीण वासियों के लिए एक सुखद खबर आई है। पप्रशासन ने यमुना नदी किनारे बसे सभी गांव में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाने की तैयारी की है। फिलहाल इन सभी गांवों के सीवर का पानी सीधा यमुना नदी में गिरता है। इससे यमुना का जल दूषित हो रहा है। यमुना भारत की प्राचीन नदियों में से एक है।
लॉकडाउन के दौरान सभी नदियों का जल स्वच्छ हो गया था। लेकिन अब फिरसे हाल बनते जा रहे हैं। पंचायती राज विभाग इस योजना को अमलीजामा पहनाएगा। खंड एवं विकास पंचायत अधिकारी अपने-अपने कार्यक्षेत्र में आने वाले गांव में जगह चिन्हित कर रहे हैं।
नदियों को स्वच्छ रखना हमारा कर्म होना चाहिए, लेकिन कुछ वर्षों से इस कार्य को करने में हम असफल रहे हैं। सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट में कुछ एक गांव में जगह चिन्हित भी हो चुकी है। दरअसल, यमुना में बढ़ते प्रदूषण को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल सख्त है। एनजीटी ने ही सरकार को आदेश दिए थे कि वह यमुना में सीवर का पानी सीधे रूप से न डालने दें। साथ ही नगर निगम को भी सख्त हिदायत है कि नालों से गंदा पानी सीधे यमुना नदी में नहीं जाना चाहिए।
फरीदाबाद में और यहां से गुजरने वाली नदियों में लगातार प्रदूषण बढ़ रहा है। जिले में यमुना नदी किनारे बसंतपुर, इस्माइलपुर, ददसिया, किड़ावली, लालपुर, महावतपुर, भसकौला, मौजाबाद, कांवरा, मंझावली, चांदपुर, अरुआ, शाहजहांपुर, फज्जुपुर, साहुपुरा, छांयसा, मोहना आदि गांव हैं। में जल प्रदूषण का स्तर सामान्य से कई गुणा ज्यादा होने की पुष्टि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी कई बार कर चुके हैं।
यमुना यूँ तो लगभग पूरे भारत में फैली हुई है, लेकिन यहां नदी के आर-पार हरियाणा व उत्तर प्रदेश की हजारों हेक्टेयर जमीन है। इस जमीन पर यमुना में बढ़ते प्रदूषण का सीधा असर पड़ता है। केवल यमुना ही नहीं, बल्कि कालिदीकुंज से आगरा व गुरुग्राम नहर से भी हजारों हेक्टेयर भूमि की सिचाई होती है।