जे.सी. बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए, फरीदाबाद द्वारा स्वदेशी विज्ञान के विकास के लिए कार्य कर रही संस्था विज्ञान भारती (विभा) के संयुक्त तत्वावधान में आज ‘आत्म-संयम औेर आत्म-निर्भरता से ही संभव है सशक्त भारत की परिकल्पना’ विषय पर एक व्याख्यान का आयोजन किया गया, जिसमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य एवं वरिष्ठ प्रचारक श्री इंद्रेश कुमार मुख्य वक्ता रहे।
व्याख्यान सत्र की अध्यक्षता कुलपति प्रो. दिनेश कुमार द्वारा की गई। इस अवसर पर विज्ञान भारती हरियाणा की अध्यक्ष डाॅ. रंजना अग्रवाल, उपाध्यक्ष डाॅ. कृष्णकांत गुप्ता तथा कुलसचिव डाॅ. एस. के. गर्ग भी उपस्थित थे। डाॅ. कृृष्णकांत गुप्ता ने मुख्य वक्ता श्री इंद्रेश कुमार का स्वागत किया तथा सत्र में उपस्थिति प्रतिभागियों के समक्ष उनका परिचय प्रस्तुत किया। सत्र को संबोधित करते हुए कुलपति प्रो. दिनेश कुमार ने आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को पूरा करने केे लिए सभी के एकजुट योगदान पर बल दिया।
व्याख्यान सत्र को संबोधित करते हुए इंद्रेश कुमार ने कहा कि भारत ज्ञान, विज्ञान, संयम और आत्मनिर्भरता में विश्वगुरू था, जो एक स्वप्न हो गया। अब इस स्वप्न को फिर से साकार करने का समय आ गया है। उन्होंने कहा कि विश्व में तीन प्रतिशत से कम क्षेत्रफल रखने वाला भारतवर्ष विश्व जनसंख्या में 18 प्रतिशत की हिस्सेदारी रखता है। सीमित संसाधनों के बावजूद कोरोना महामारी की विपदा से लड़ते हुए भारत सरकार और नागरिकों ने दृढ़ इच्छा शक्ति और संकल्प का परिचय देते हुए किसी भी व्यक्ति को भूखमरी से मरने नहीं दिया, जिसकी आज संपूर्ण विश्व प्रशंसा हो रही है।
कोरोना वायरस को चीन द्वारा निर्मित जैविक हथियार बताते हुए इंद्रेश कुमार ने कहा कि चीन के जैविक हथियार ने आज संपूर्ण मानवता के लिए संकट पैदा कर दिया है। इसके बावजूद चीन को इसके लिए कोई अफसोस नहीं है। लेकिन भारत ने आयुर्वेद के साथ आत्मनिर्भरता के संकल्प को लेकर इस विपदा का मुकाबला किया और बड़ी संख्या में पीपीई किट, मास्क, वेंटिलेटर सहित अन्य चिकित्सा सुविधाओं का न केवल अपने लिए निर्माण किया है, बल्कि दूसरे देशों की भी मदद की है।
उन्होंने कहा कि आज संपूर्ण विश्व भारत द्वारा कोरोना की वैक्सीन निर्माण की अपेक्षा कर रहा है ताकि मानवता को उपभोक्तावाद से बचाया जा सके। उन्होंने कहा कि आत्मसंयम और आत्मनिर्भरता भारतीय संस्कृति का हिस्सा रही है क्योंकि भारत ने कभी विस्तार के लिए हिंसा का रास्ता नहीं अपनाया है। अखण्ड भारत के निर्माण लिए उन्होंने खोए जन और खोई जमीन को वापिस पाने की आवश्यकता पर बल दिया।
इंद्रेश कुमार ने कहा कि विश्व की सर्वाधिक जनसंख्या का नेतृत्व कर रहे चीन ने हमेशा विस्तारवाद को बढ़ावा दिया है। चीन ने पंचशील समझौते का षड़यंत्र रचकर तिब्बत को हड़प लिया और उसकी विस्तारवादी नीति अब भी जारी है। लेकिन अब भारत ने चीन को उसी की भाषा में जवाब देना सीख लिया है। पाकिस्तान को भारत के प्रति नफरत छोड़ने की सलाह देते हुए उन्होंने कहा कि यदि पाकिस्तान अब भी चीन की विस्तारवादी नीतियों को नहीं समझ पाया तो वह दिन दूर नहीं जब पाकिस्तान का भविष्य चीन की गुलामी होगी।
उन्होंने कहा कि चीन के विस्तारवाद को रोकने है तो हमें उसे आर्थिक रूप से तोड़ना होगा। हमें स्वदेशी उत्पादों का उपयोग करना होगा। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि भारत का जो भूभाग चीन एवं पाकिस्तान के कब्जे में है, उसे भी हम मुक्त कराएंगे, यह संकल्प लेना होगा।
इंद्रेश कुमार ने भारत को ज्ञान एवं विज्ञान के क्षेत्र में विश्वगुरू के रूप में स्थापित करने के लिए भारतीय विश्वविद्यालयों से बौद्धिक आंदोलन शुरू करने को कहा।
उन्होंने कहा कि हमें शिक्षा को राष्ट्रीय निर्माण का हिस्सा बनाना होगा। हमें जातियां की छुआछूत व लिंगभेद से ऊपर उठकर और धर्मांतरण से मुक्त होकर भारत का निर्माण करना होगा। हमें असंभव कोे संभव बनाने वाली सोच के साथ काम करना होगा।
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