मरीज ओटी में लैपटॉप पर करता रहा कोडिंग, डॉक्टरों ने की ब्रेन सर्जरी

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कोरोना काल हो या उस से पहले का समय डॉक्टर्स हमेशा से ही भगवान का रूप रहे हैं। अगर हमारे शरीर के किसी हिस्से में तेज दर्द भी होता है तो हमें लगता है कि भले ही हमें कोई नशे का इंजेक्शन दे दे लेकिन हमें इस दर्द का अहसास न हो, लेकिन कुछ लोग इतने डेयरिंग होते हैं कि सर्जरी के भी बिना एनेस्थिसिया के ही करा लेते हैं। ऐसा ही कुछ फरीदाबाद में हुआ।

हौसलों में बुलंदी होतो सबकुछ संभव है, किसी भी बीमारी से लड़ा जा सकता है यदि हौसले बुलंद हों। जिले के युवक ने लैपटॉप पर कोडिंग करते हुए ब्रेन ट्यूमर की सर्जरी करा ली। फरीदाबाद के सर्वोदय हॉस्पिटल में 24 साल के राहुल के ब्रेन ट्यूमर की सर्जरी पूरे होशो-हवास में हुई।

मरीज ओटी में लैपटॉप पर करता रहा कोडिंग, डॉक्टरों ने की ब्रेन सर्जरी

कोई भी समस्या कभी किसी को बता के नहीं आती है। राहुल को कुछ दिन पहले दौरा पड़ा। जब जांच हुई तब पता चला कि उन्हें ब्रेन ट्यूमर है। ट्यूमर उनके दिमाग के दाएं हिस्से के उस भाग में था जो बाएं हिस्से को काम करने के लिए ताकत देता था। अक्सर इस तरह के मामलों में मरीज को पूरी तरह बेहोश करके ही उसका ऑपरेशन किया जाता है।

मरीज ओटी में लैपटॉप पर करता रहा कोडिंग, डॉक्टरों ने की ब्रेन सर्जरी

बीमारी का आना हमारे बस में नहीं है, लेकिन निजात दिलाना डॉक्टर के हाथों में हो सकता है। यह ट्यूमर ब्रेन के पावर देने वाले हिस्से में था तो ऐसे में शरीर के कुछ हिस्सों का अपनी कार्य क्षमता खोने का भी खतरा हो सकता था। इसलिए न्यूरो सर्जरी विभाग के वरिष्ठ विषेशज्ञ डॉ. मुकेश पांडेय, डॉ. पंकज डावर और विषेशज्ञ डॉ. गौरव केसरी एवं एनेस्थेसिया के डॉ. आर.के सिंह और डॉ. मनीष ने इस ऑपरेशन को मरीज को पूर्ण होश में रखते हुए 4 घंटे में पूरा करने की रूप रेखा तैयार की।

मरीज ओटी में लैपटॉप पर करता रहा कोडिंग, डॉक्टरों ने की ब्रेन सर्जरी

सभी किसी न किसी आपदा से कभी न कभी मिलते हैं। खबरों के अनुसार, न्यूरो सर्जरी विभाग के वरिष्ठ विषेशज्ञ डॉ. मुकेश पांडेय ने बताया कि मरीज का जागते हुए ऑपरेशन करने में सबसे बड़ा फायदा यह रहा कि ट्यूमर निकालते समय अगर शरीर के किसी हिस्से में कोई कमजोरी आए तो उसे तुरंत संभाला जा सकता था।