स्वच्छता सर्वेक्षण 2020: फरीदाबाद को मिला 38वा स्थान, शीर्ष 20 में भी नहीं बना पाए जगह

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फेंसिंग कर स्वच्छता सर्वेक्षण के पांचवें संस्करण ‘स्वच्छ सर्वेक्षण- 2020’ के परिणामों की घोषणा की। सर्वेक्षण सूची में इस बार भी इंदौर शीर्ष स्थान पर रहा। लगातार चौथी बार इंदौर को देश के सबसे साफ शहर का खिताब मिला। इससे पहले वर्ष 2017, 2018 और 2019 में भी इंदौर ने यह खिताब अपने नाम किया था। वहीं इस सूची में दूसरे स्थान पर गुजरात का सूरत और तीसरे पर महाराष्ट्र का नवी मुंबई है।

पहले संस्करण में सबसे स्वच्छ शहर का पुरस्कार कर्नाटक के मैसूर ने हासिल किया था। सर्वेक्षण में साफ-सफाई को लेकर बेहतर प्रदर्शन करने वाले शहरों को पुरस्कृत भी किया गया। स्वच्छता सर्वेक्षण में पुनः इंदौर के शीर्ष रहने पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि स्वच्छता इंदौर का स्वभाव है।

स्वच्छता सर्वेक्षण 2020: फरीदाबाद को मिला 38वा स्थान, शीर्ष 20 में भी नहीं बना पाए जगह

जनता ने गंदगी को भगा दिया है और स्वच्छता इंदौर की सभ्यता बन गई है। इसी के साथ उन्होंने इंदौर की जनता को बधाई दी और इस उपलब्धि के लिए सराहा। उन्होंने कहा कि केवल देश से ही अपितु पूरे विश्व से लोग स्वच्छता का पाठ सीखने इंदौर आते हैं।

फरीदाबाद के लिए बदलाव है ज़रूरी, इंदौर से लें सीख

स्वच्छता सर्वेक्षण सूची में फरीदाबाद 38 वे पायदान पर रहा। स्मार्ट सिटी फरीदाबाद स्वच्छता की फेहरिस्त में टॉप 20 शहरों के बीच भी अपना नाम दर्ज नहीं करवा पाया। इस लिस्ट में फरीदाबाद से ऊपर दक्षिण दिल्ली, लुधियाना, रांची और धनबाद जैसे शहर रहे। वहीँ दूसरी ओर अमृतसर और कोयम्बतूर फरीदाबाद से निचले पायदान पर रहे।

स्वच्छता सर्वेक्षण 2020: फरीदाबाद को मिला 38वा स्थान, शीर्ष 20 में भी नहीं बना पाए जगह

चार साल से शीर्ष स्थान पर स्थिर इंदौर के लोगों ने यह साबित कर दिया कि स्वच्छता के लिए स्वयं को बदलना जरूरी है। शहर कि किसी भी दुकान में पॉलिथीन के प्रयोग से परहेज़ किया जाता है। प्रशासन और स्थानीय कार्यालयों में कार्यरत अफसर भी बार बार क्षेत्र में चल रहे सफाई अभियानों का जायज़ा लेते रहते हैं। फरीदाबाद में जिस तरीके से कूड़े का अम्बार इकठ्ठा किया जाता है ये इंदौर में मान्य नहीं। जलभराव की समस्या हमारे शहर में बढ़ गई है जीसके चलते गंदगी और बीमारियां पनपती हैं। विकास कार्यों में जुटे अफसरों को इस समस्या का निवारण शीग्र अति शीग्र करना होगा। वरना वह दिन भी दूर नहीं जब स्वच्छता सर्वेक्षण की फेहरिस्त से हम गायब ही हो जाएं।