बरसात ने खोली गांव के सरपंच की पोल,किसान हुए परेशान

0
351

हर गांव से शुरू होती है एक किसान की कहानी ,फिर चाहे वो  उनकी समस्या हो या हो उनकी आवाज उठाने की बात ।किसान की हर समस्या उनके सरपंच द्वारा हटाई जाती है ।

बरसात ने खोली गांव के सरपंच की पोल,किसान हुए परेशान

  किसान को अनंददाता भी कहा जाता है ।लेकिन परेशानी तब खड़ी होती है जब उनकी समस्या देखने के लिए उनकी सरपंच ही घर से बाहर न निकले ।

फरीदाबाद में स्तिथ मोहला गांव में कुछ ऐसी ही समस्या देखने को मिली ।बरसात ने ना सिर्फ गांव की समस्या की पोल खोली है बल्कि गांव की सरपंच की असलियत से भी रूबरू कराया    ।

बरसात ने खोली गांव के सरपंच की पोल,किसान हुए परेशान

एक तरफ बारिश के आते ही पूरा फरीदाबाद शहर तालाब बन जाता है वही दूसरी और  फरीदाबाद से सटे गांव भी इस हालत से  अछुते नही रह पाते।ऐसा ही कुछ हाल  फरीदाबाद के गांव मोहला में देखने को मिला।  बारिश के कारण   मोहला गांव में किसानों की फसलो में  पानी भरने के कारण 100एकड़ फसल नष्ट हो गयी है ।बता  दे कि फसल में 2फुट तक पानी भरने के कारण किसानों की धान  की फसल पूरी तरह बर्बाद हो गयी है ।लेकिन हैरानी की बात तो यह है कि मोहला गांव की सरपंच  संगीता किसानों की समस्या को देखती तक नही है ।

बरसात ने खोली गांव के सरपंच की पोल,किसान हुए परेशान

गांव की समस्या को जब लेकर पहचान फ़रीदाबाद की टीम ने  मोहला गांव की सरपंच संगीता से बात करनी चाही तो वो फ़ोन उनके पति रविन्द्र ने उठाया ।
हमारी मोहोला गांव की सरपंच संगीता से तो बात नही हो पाई लेकिन सरपंच पति ने गांव की समस्याओं को लेकर सफाई देनी चाही और सरपंच पति से पूछने पर पता लगा कि सरपंच संगीता की जगह गांव का सारा कार्यभार सरपंच पति ही संभालते है ।

इससे अंदाजा लगया जा सकता है कि जब गांव के सरपंच का ये हाल है तो गांव की क्या हालत होगी ।कौन मोहोला गांव की समस्या सुनता होगा ।

बरसात ने खोली गांव के सरपंच की पोल,किसान हुए परेशान

यह समस्या  ना ही सिर्फ गांव की हालत को दर्शाती है बल्कि सरपंच की सीट को लेकर चल रही घिनोनी राजनीति को भी आईना दिखती है ।जिसमे सीट तो महिला महिला को दी जाती है परन्तु पदभार पुरुष संभालते है ।अगर यही राजनीति हमारे शहर में चलती है तो महिलाओ को दिए जा रहे आरक्षण को भी खारिज कर देना चाहिए ।क्योंकि इस देश की महिलाओं को नही चाहिए ऐसा आरक्षण या ऐसा अधिकार जिसका फायदा राजनीति की आढ़ में कोई और उठाये ।यह सवाल मेरा देश की सरकार से है आखिर कब तक महिलाओं को इस तरीके से दवाने का कार्य चलता रहेगा