विश्व पुस्तक दिवस : इंटरनेट की तेज़ रफ्तार में गायब हुई छात्रों के हाथों से किताब

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 विश्व पुस्तक दिवस : इंटरनेट की तेज़ रफ्तार में गायब हुई छात्रों के हाथों से किताब

23 अप्रैल यानी कि विश्व पुस्तक दिवस, जिसे पूरे देश में खासकर अध्यापकों और विद्यार्थियों द्वारा बड़े किताबों की अहमियत समझने और समझाने हेतु हर्षोल्लास से मनाया जाता है। भले ही कोरोना वायरस के चलते यह दिन लोगों ने आम दिन की तरह मनाया हो, लेकिन हमारे इस आर्टिकल में आपको इस दिन से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें जानने को मिलेंगी।किताबी ज्ञान एक मनुष्य के लिए उतना ही जरूरी है, जितना जीवन को व्यतीत करने के लिए शिष्टाचारों का। क्योंकि शिष्टाचार के अभाव में मनुष्य की बुद्धि विनाशकारी होती है। किताबें को जीवन का वो अहम कड़ी है जो एक व्यक्ति बचपन से लेकर बुढ़ापे तक लोगों का ज्ञान कि बातों से अवगत कराने के साथ दुनिया से यहां तक कि अपने इतिहास से जोड़े रखता है। किताबें मनुष्य का पथ प्रदर्शन करने में सक्षम होता हैं। किताबें का ज्ञान भले ही पन्नों के माध्यम से लोगों के जहन में जाता हो, लेकिन यह ज्ञान जीवन को सुखमय तथा सफल करने के लिए एक सच्चें साथी की तरह साय की तरह लोगों का साथ देता है।

हाथों में इंटरनेट की रफ्तार में गायब हुई किताब

जबसे दुनिया डिजिटल माध्यम का आदि हो गई है। तबसे किताबों की तबज्जों पाठकों के दिलों में मानो कहीं लिप्त हो गई है। आज भले ही स्कूल,कॉलेज या यूनिवर्सिटी की लाइब्रेरियां ज्ञान वर्धक पुस्तकों से क्या खचाखच भरी हो, लेकिन इनकी तरफ छात्रों का रुझान ना के बराबर हो चुका है। क्युकी अब छात्र किताबों में जवाब ढूंढे, इससे बेहतर विकल्प अपने फोन के इंटरनेट को मानते हैं।

कोरोना वायरस में लिप्त हो गई पाठकों की इच्छाएं
भले कोरोना वायरस के चलते तमाम शिक्षण संस्थान बन्द हो। वहीं सरकार भी ऑनलाइन के जरिए छात्रों को पुस्तके पहुंचाने का दम भर रही हो, लेकिन सच्चाई क्या है यह बताने की जरूरत नहीं है। क्योंकि ना तो बच्चों के पास पुस्तकें पहुंच पा रही है, और ना ही छात्रो का ज्ञान वर्धन किया का रहा है। ऐसे में अविभावकों को जरूरत है कि वह अपने परिवार संग कुछ अच्छी और नैतिक मूल्यों की जानकारी दें। इतना ही नहीं बच्चो को देश के इतिहास से जुड़ी रोचक तथ्य उजागर करें।

विश्‍व पुस्‍तक दिवस में क्या है ख़ास
दुनिया भर में हर साल 23 अप्रैल को विश्‍व पुस्‍तक दिवस मनाया जाता है। इस दिन को विश्‍व कॉपीराइट दिवस (World Copyright Day) भी कहते हैं. किताबों को पढ़ने वाले और चाहने वालों के लिए आज खास दिन है। UNESCO ने 23 अप्रैल 1995 को इसकी शुरुआत की थी. पहली बार 1995 में पेरिस में हुई यूनेस्‍को की जनरल कॉन्‍फ्रेंस में विश्‍व पुस्‍तक दिवस का जश्‍न मनाया गया था।

वर्ड विश्व पुस्तक डे, समझता है पुस्तकों की अहमियत
दुनिया भर मे वर्ल्‍ड बुक डे इसलिए मनाया जाता है ताकि किताबों की अहमियत को समझा जा सके।किताबें महज कागज का पुलिंदा नहीं बल्‍कि वे भूतकाल और भविष्‍यकाल को जोड़ने की कड़ी का काम करती हैं, साथ ही यह एक संस्‍कृतियों और पीढ़‍ियों के बीच में एक सेतु की तरह हैं।

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