कोरोना काल में अपनी जान को दांव पर लगाकर देश की सुरक्षा में तैनात डॉक्टर्स, नर्स एवं पैरामेडिकल स्टाफ के साथ देश के कई इलाकों से मारपीट कि घटनाएं सामने आ रही है जो बेहद ही निंदाजनक है। इन्हीं घटनाओं को देखते हुए केंद्र सरकार ने पुराने Epidemic Diseases Act 1897 में बदलाव किए है। जिसके तहत अब डॉक्टर, नर्स एवं पैरामेडिकल स्टाफ पर हमला करने वालो के खिलाफ 30 दिन के अन्तर्गत कार्यवाही कर 1 वर्ष के अन्तर्गत फैसला सुनाया जाएगा और इस मामले में पकड़े गए आरोपियों को 3 महीने से लेकर 7 साल तक बिना जमानत के सजा का प्रावधान किया गया है।
केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने 22 अप्रैल को इस अध्यादेश को लेकर हुई नरेंद्र मोदी कैबिनेट कि बैठक के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि इस संकट काल में जहां एक तरफ डॉक्टर एवं अन्य स्वास्थ्य कर्मी अपनी जान की परवाह न करते हुए देश हित में अपने कर्तवयों का पालन कर रहे है वहीं उनके इतने सब प्रयासों के बावजूद भी उनके साथ होने वाली बदसलूकी एवं मारपीट कि घटनाएं अति निंदनीय है जिसको बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
जिसके लिए उनकी सरकार द्वारा यह निर्णय लिया गया है इस मामले में पाए गए दोषियों पर तत्काल प्रभाव से कार्यवाही की जाएगी और सजा के साथ ही 50 हजार से लेकर 2 लाख तक का जुर्माना भी लगाया जाएगा और साथ ही स्वास्थ्य कर्मियों के वाहन एवं क्लीनिक इत्यादि का नुकसान किए जाने पर दोषी से बाजार कीमत से दौगुनी अधिक राशि वसूली जाएगी।
अधिक जानकारी देते हुए मंत्री ने बताया कि इस विषय पर गृह मंत्री अमित शाह एवं केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन द्वारा कोरोना काल में ड्यूटी पर तैनात स्वास्थ्य कर्मियों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बात की गई थी जिसमे डॉक्टर्स एवं अन्य स्वास्थ्य कर्मियों ने मांग रखी थी कि सरकार उन्हें सुरक्षा प्रदान करने के लिए कोई कानून पास करे जिससे उन्हें भरोसा मिल सके। डॉक्टरों की मांग पर गृह मंत्री द्वारा इस अध्यादेश को पास करने का निर्णय लिया गया और आईपीसी, सीआरपीसी, एनएसए होने के बावजूद भी यह कानून लाया गया जिसके बाद अब डॉक्टर एवं अन्य स्वास्थ्य कर्मियों पर हमला करने वालो का जेल से बाहर निकल पाना अत्यंत कठिन हो जाएगा।