हरियाणा सरकार का बड़ा फैसला सरपंचों ने अगर ठीक से काम नहीं किया तो, तो घर बिठा देंगे ग्रामीण : हरियाणा सरकार ने जनता के लिए एक सहूलियत भरा कदम उठाया है। सरकार पंचायती राज व्यवस्था में बड़ा परिवर्तन करने जा रही है। हरियाणा देश का ऐसा पहला राज्य बनेगा जहां पर काम न करने वाले पंचायत प्रतिनिधियों को वापस घर बैठाने की शक्तियां ग्रामीणों के पास होंगी। इसी तरह हर दूसरे गांव की सरपंच महिला होगी। बुधवार से शुरू हो रहे हरियाणा विधानसभा के सत्र में दो अहम बिल को पारित कराने की तैयारी है।
जनता के लिए काम करने वाले सरपंच पैसों की तरफ ज़्यादा ध्यान दे रहे हैं। उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने पत्रकारों से बातचीत में बताया कि पूर्व उपप्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल का सपना सच होने जा रहा है।
सभी ग्रामीणों का हक़ है की उनकी पीड़ा सरपंच सुने। लेकिन गत वर्षों के दौरान सरपंच पैसों की तरफ भाग रहे हैं। उपप्रधानमंत्री चाहते थे कि चयनित प्रतिनिधि अगर लोगों में अपना विश्वास खो दे तो जनता को ‘राइट-टू-रिकॉल’ का अधिकार मिलना चाहिए। उन्होंने सरपंच का उदाहरण देते हुए बताया कि कई बार उन पर पद के दुरुपयोग के आरोप लगते हैं। जिसमें लोग चाहते हैं कि उसको पद से हटाया जाए।
ग्रामीण हो या शहरी सभी को सरकार तक अपनी बातें पहचानें का हक है। अगर ‘राइट-टू-रिकॉल’ का कानून बन जाएगा तो ग्रामीण मतदाताओं के पास सरपंच को हटाने का अधिकार होगा। हरियाणा में पंचायती राज में 50 प्रतिशत पद महिलाओं के लिए आरक्षित करने का बिल भी सदन में लाया जाएगा।
हरियाणा सरकार की इस पहल से सभी राज्यों को सीख लेने की जरुरत है। कानून के पास होने से ग्रामीण परिवेश में रह रहीं महिलाओं के लिए न केवल राजनीति के नए द्वार खुलेंगे बल्कि उन्हें खुद को साबित करने का एक प्लेटफॉर्म मिलेगा।
यह फैसला ग्रामीणों को नई ताकत तो प्रदान करेगा ही साथ में ग्रामीण क्षेत्रों में विकास की राह भी रेज़ करेगा। पंचायती राज संस्थाओं में बीसीए के लिए आठ प्रतिशत आरक्षण निर्धारित करने संबंधित बिल लाया जाएगा।