मानवता क्या होती है इसका परिचय गत महीनों से लगातार एक्टर सोनू सूद दे रहे हैं। लॉकडाउन में यदि आम लोगों के लिए कोई मसीहा बना है तो उसका नाम है सोनू सूद। परदे पर सोनू सूद का किरदार एक खलनायक का रहा है कि लेकिन असल जिंदगी में सोनू सूद सबसे बड़ा नायक साबित हुए हैं। लॉकडाउन में जब किसी की मदद के लिए कोई आगे नहीं आ रहा था, तब से सोनू सूद लोगों को अपने खर्चे पर घर पहुंचा रहे हैं, जरूरतमंदों की मदद कर रहे हैं, लोगों का इलाज करवा रहे हैं।
कहावत है कि इंसान ही भगवान के रूप में आता है। सोनू सूद भगवान के रूप में सबके सामने आये हैं। सोनू सूद ने मदद की ओर एक और कदम बढ़ाते हुए हरियाणा के कोटी गांव के बच्चों के लिए स्मार्टफोन भेजा है ताकि बच्चे ऑनलाइन क्लासेज कर सकें।
यदि किसी भी एक गली में सोनू सूद जैसा इंसान पैदा हो जाए तो भारत में प्यार बहुत बढ़ जाएगा। सोनू सूद ने 24 अगस्त को एक खबर पर रिप्लाई करते हुए कहा था कि अब बच्चों को ऑनलाइन क्लासेज के लिए लंबी यात्रा नहीं करनी पड़ेगी, उन्हें कल तक स्मार्टफोन मिल जाएगा और अपने वादे पर हर बार की तरह खरा उतरते हुए सोनू सूद ने स्कूल के हेडमास्टर के हाथों बच्चों के लिए स्मार्टफोन भिजवा दिया है।
श्रमिकों की जब महाराष्ट्र में बैठी ठाकरे सरकार नहीं सुन रही थी, तब सूद उनका मसीहा बन के सामने आये। स्मार्टफोन मिलने के बाद बच्चों ने वीडियो कॉल पर सोनू सूद से बात भी की है। देश के करोड़ों छात्र नीट और जेईई की परीक्षाओं की तिथि आगे बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। बच्चों का कहना है कि बढ़ते कोरोना संक्रमण के कारण परीक्षा देना मतलब अपनी जान की बाजी लगाना है। बच्चों की इस मांग का समर्थन सोनू सूद ने भी किया है।
महामारी का प्रकोप थमने को ज़रा भी तैयार नहीं है। कोरोना के अलावा देश के कई राज्यों में बाढ़ की स्थिति है और कई राज्यों में लॉकडाउन भी लगा हुआ है। ऐसे में बच्चों के लिए किसी सेंटर पर परीक्षा देने जाना एक मुश्किल भरा काम है।