रेखाचित्र के माध्यम लोगों ने आईएएस सोनल गोयल की सोच को दर्शाया

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किसी ने कहा कि महिलाओं की दुनिया बड़ी छोटी है लेकिन अब उन्होंने घरौंदा आसमान से भी ऊंचा बना लिया है क्योंकि निसंदेह सहजता से हर एक दिन भिन्न-भिन्न भूमिकाएं जीते हुए महिलाओं ने अपनी सीमा परिधि को पार कर नए समाज का गठन किया है

महिलायें किसी भी समाज का स्तम्भ है। हमारे आस पास महिलायें ,सहृदय बेटियां, संवेदनशील माताएं, सक्षम सहयोगी और अन्य कई भूमिकाओं को बड़ी कुशलता व सौम्यता से निभा रहीं है।

रेखाचित्र के माध्यम लोगों ने आईएएस सोनल गोयल की सोच को दर्शाया


इसी कड़ी में अगर बात की जाए तो महिला सशक्तिकरण की तो मिसाल पेश करती फरीदाबाद की निगम कमिश्नर रही IAS सोनल गोयल का नाम जहन में आता है

महिला समानता दिवस के उपलक्ष्य में झज्जर के गांव बढ़ाना में मुकेश शर्मा व बेटी अंशुल शर्मा ने सोनल गोयल की सोच को एक सुंदर रूप रेखाचित्र का आकर देकर उनके द्वारा कहे गए नारे को दिखाया जिमसें लिखा था घूंघट को खोलो मेरी बहना , सोनल गोयल की यह सोच दर्शाती है महिला को समानता का हक़ जरूरी है

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लेकिन आज भी दुनिया के कई हिस्सों में समाज उनकी भूमिका को नजरअंदाज करता है। इसके चलते महिलाओं को बड़े पैमाने पर असमानता, उत्पीड़न, वित्तीय निर्भरता और अन्य सामाजिक बुराइयों का खामियाजा सहन करना पड़ता है। सदियों से ये बंधन महिलाओं को पेशेवर व व्यक्तिगत ऊंचाइयों को प्राप्त करने से अवरुद्ध करते रहे हैं।

महिलाओं का आर्थिक व् सामाजिक रूप से सशक्तिकरण

उनको समाज में उचित व सम्मानजनक स्थिति पर पहुँचाने के लिए, आर्ट ऑफ़ लिविंग ने महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम आरम्भ किये हैं जो अलग पृष्ठभूमि की महिलाओं के आत्म सम्मान, आंतरिक शक्ति और रचनात्मकता को पोषण करने के लिए ठोस आधार प्रदान करते हैं।

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इस तरह से स्थापित महिलाएं आज अपने कौशल, आत्मविश्वास और शिष्टता के आधार पर दुनिया की किसी भी चुनौती को संभालने में सक्षम हैं। वे आगे आ रहीं हैं और अपने परिवारों, अन्य महिलाओं और समाज के लिए शांति और सकारात्मक सामाजिक परिवर्तन के अग्रदूत के रूप में स्थापित कर रही हैं।

शिक्षा के माध्यम से महिला सशक्तिकरण

शिक्षा जीवन में प्रगति करने का एक शक्तिशाली उपकरण है। महिलाओं के उत्थान व् सशक्तिकरण के लिए शिक्षा से बेहतर तरीका क्या हो सकता है ? अपनी विभिन्न पहलों के माध्यम से,आर्ट ऑफ़ लिविंग ने , बालिकाओं और महिलाओं को स्तरीय शिक्षा के माध्यम से ग्रामीण भारत के दूरस्थ कोनों में भी समान रूप से सशक्त किया है। ज्ञान की इस नई सुबह के बारे में और जानिए !

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“सामाजिक असमानता, पारिवारिक हिंसा, अत्याचार और आर्थिक अनिर्भरता इन सभी से महिलाओं को छूटकारा पाना है तो जरुरत है महिला सशक्तिकरण की


पहले ’ इस बात का महिलाओं ने खुद को यकीन दिलाना जरुरी है। मै एक स्त्री हुं इस आत्मग्लानी में ना रहें। जब आप आत्मग्लानी में आते हो तब आपकी ऊर्जा, उत्साह और शक्ती कम होने लगती है।

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अध्यात्म का मार्ग एक हि ऐसा मार्ग है जहां आप आत्मग्लानी और अपराधी भावसे मुक्त हो सकती हो। आत्मग्लानी और अपराधी भाव – इन दोनों में हम अपने मन के छोटेपन अनुभव करते है। जिससे आप अपनी आत्मा से और दूर जाती है।

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निःसंशय समाज में बदलाव आना भी चाहिये। लेकीन आत्मग्लानी के भाव में रहकर यह बदलाव आप नही ला सकती।”