सूरजकुंड आना चाहते हैं तो टिकट नहीं लेनी होगी, इस तरह आ सकेंगे

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    फरीदाबाद वासियों के लिए सूरजकुंड से अच्छा और प्राकृतिक स्थल कोई नहीं हो सकता। दिल्ली से सटे फरीदाबाद के अरावली क्षेत्र स्थित सूरजकुंड प्रदेश का महत्वपूर्ण पर्यटन क्षेत्र है। सूरजकुंड पर भी कोरोना संकट की मार देखने को मिल रही है। जहां प्रकृति व कुंड की सुंदरता देखने सैकड़ों सैलानी आते थे, आज यह संख्या सिमटकर दस से पंद्रह रह गई है।

    महामारी किसी को नहीं बक्श रही है। यहां पर सुरक्षा के लिहाज से टिकट काउंटर बंद कर दिए गए हैं। कुंड के टिकट बेचने के बजाए बारकोड स्कैन करा कर मेसेज के माध्यम से प्रवेश दिया जा रहा है।

    सूरजकुंड आना चाहते हैं तो टिकट नहीं लेनी होगी, इस तरह आ सकेंगे

    जिले वासियों की पहचान बना सूरजकुंड अपने आप में ही एक खूबसूरत स्थल है। अरावली की पहाड़ी क्षेत्र में स्थित सूरजकुंड को दसवीं शताब्दी में राजा सूरजमल ने बनवाया था। इसी कुंड के पास अब सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय हस्तशिल्प मेला भी लगाया जाता है।

    हर साल लगने वाला मेला शायद 2021 में नहीं लगेगा। प्रत्येक साल फरवरी माह में आयोजित किए जाने वाले हस्तशिल्प मेला देश-विदेश में हरियाली व खूबसूरती के लिए भी काफी प्रसिद्ध है। 15 दिनों तक लगने वाले इस अंतरराष्ट्रीय मेले के अलावा साल भर सैलानी राजा सूरजमल द्वारा बनवाए गए इस कुंड को देखने के लिए पहुंचते हैं।

    सूरजकुंड आना चाहते हैं तो टिकट नहीं लेनी होगी, इस तरह आ सकेंगे

    कोरोना वायरस जब से आया है तभी से ही दुःखद ख़बरें दे रहा है। अरावली की पहाड़ियों के बीच यह कुंड प्रकृति प्रेमी व सैलानियों को आकर्षित करता है। दिल्ली से सटे होने के कारण यह क्षेत्र पर्यटक के लिए महत्वपूर्ण है। यह कुंड पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने संरक्षित कर रखा है। कोरोना के संक्रमण से सुरक्षा को देखते हुए टिकट नहीं अब बारकोड स्कैन कराकर प्रवेश कराया जा रहा है।

    सूरजकुंड आना चाहते हैं तो टिकट नहीं लेनी होगी, इस तरह आ सकेंगे

    भारत जब से लॉकडाउन से अनलॉक में आया है, तभी से बहुत कुछ खुल गया है। लॉकडाउन के दौरान यहां आने व घूमने पर पूरी तरह से पाबंदी लगा दी गई थी। हालांकि, अनलॉक-दो के दौरान छूट मिलने पर यहां सैलानियों व प्रकृति प्रेमियों के आने पर लगी रोक तो हटा दी गई, लेकिन टिकट काउंटर को शुरू नहीं किया गया है।