फरीदाबाद को स्मार्ट सिटी का दर्जा भले ही मिला हुआ है, लेकिन अधिकारीयों की मेहरबानियों से फरीदाबाद जर्जर सिटी बनता जा रहा है। स्मार्ट सिटी फरीदाबाद में स्मार्ट पार्क बन ने जा रहे थे, लेकिन निर्माण होना तो छोड़िये पार्कों की हालत किसी भूतिया घर से कम नहीं लगती है। स्मार्ट पार्क नामक प्रोजेक्ट तो शुरू हुआ लेकिन उसपर काम नहीं किया गया।
जिले में लगभग 600 पार्क हैं सिर्फ 2-4 को छोड़ कर सभी की हालत अधिकारीयों की मेहरबानी से कूड़ा घर जैसी बन गई है। निगम के अधिकारी बस पैसा कमाने आते हैं, इसके सबूत हर दिन देखने को मिल जाते हैं।
पार्कों के साथ – साथ किसी खुली जगह में जाना स्वास्थ्य के लिए अच्छा माना गया है। सार्वजनिक खुले स्थान और पार्कों के उपयोग से जुड़े कई स्वास्थ्य लाभ भी हैं। पार्क, खुले स्थान और खेल के मैदान जैसे वनस्पति क्षेत्रों से सामान्य स्वास्थ्य, तनाव के स्तर को कम करने, अवसाद को कम करने और बहुत कुछ के साथ जुड़ा हुआ है।
फरीदाबाद नगर निगम के अधिकारी जिले की जनता के स्वास्थ्य के साथ ही खेल रहे हैं। शहर में लगभग 600 पार्क हैं, जिनमें से कुछ नगर निगम फरीदाबाद, आरडब्ल्यूए और अन्य औद्योगिक संघों द्वारा प्रबंधित हैं। कुछेक को छोड़ कर सभी में कूड़े से लेकर बारिश का पानी जमा होता रहता है।
स्मार्ट पार्क बनाने के लिए पैसा तो खूब लिया गया सरकार की तरफ से अधिकारीयों ने, लेकिन वे सारा पैसा कहां गया यह कोई नहीं जानता। ख़बरों के मुताबिक स्मार्ट पार्क के अंतर्गत पार्क के भव्य प्रवेश द्वार के साथ ही एक आर्ट गैलरी बनाई जानी थी। इसमें न सिर्फ देश के विख्यात कलाकारों की मनभावक प्राकृतिक छटा बिखेरने वाली पेंटिंग होनी थी बल्कि यहां कुछ दीवारें कृत्रिम कैनवास के रूप में उन कलाकारों के लिए खाली रेहनी थी जो अपनी कलाकृतियां बनाना चाहते हैं।
नगर निगम के अधिकारी और स्मार्ट सिटी फरीदाबाद के अधिकारी बस पैसा लूटना जानते हैं। स्मार्ट पार्क में शहर के लोग यहां आकर अपनी पेंटिंग की प्रदर्शनी लगा सकें, इसकी भी व्यवस्था की जानी थी। इनमें बच्चों के खेलने के लिए खेल जोन, इसमें विशेष आकर्षण वाले झूले यह सब भी आने थे। बरसात व धूप में भी लोगों के बैठने व योग करने के लिए छतरियां लगनी थी। मनमोहक एक बड़ा फव्वारा लगाया जाना था।
स्मार्ट पार्क को एकदम स्मार्ट बनाया जाना था, लेकिन भ्रष्टाचार हो गया। पार्क में एक ओपन जिम बनाया जाना था, इसमें एक्सरसाइज कराने के लिए एक प्रशिक्षक भी मौजूदा होना था। पार्क में फल-फूल के पौधे लगाए जाने थे ताकि सुबह की भोर में आगंतुकों को पक्षियों की आवाज भी सुनाई दे। अब तो बस कूड़े की बदबू और कीड़े मकोडों से ही मुलाकात होती है शहर वासियों की।
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