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फरीदाबाद बड़खल झील 2003 में थी सुंदरता की तस्वीर प्रशासन की लापरवाही ने 2020 तक किया ऐसा हाल


प्रकृति की सुंदरता और मानवता ईश्वर की देन है और इस सुंदरता को बनाए रखना हर नागरिक का फर्ज होता है। परंतु स्मार्ट सिटी का तमगा पहने फरीदाबाद में कई ऐसे सौंदर्य पूर्ण स्थल है जिन्हें फरीदाबाद के नेताओं की लापरवाही के चलते पलीता लग रहा है।

इनमें एक नाम फरीदाबाद की लाइफ लाइन कही जाने वाली बढ़खल झील का भी है। आपको बता दें पिछले 14 सालों से फरीदाबाद की बड़खल झील प्यासी आंखों से नेताओं की ओर टकटकी लगाए झिलमिल होने का इंतजार कर रही है।

फरीदाबाद बड़खल झील 2003 में थी सुंदरता की तस्वीर प्रशासन की लापरवाही ने 2020 तक किया ऐसा हाल
तस्वीर बड़खल झील 2003

परंतु 40 एकड़ से अधिक जगह में बसी मानव निर्मित यह झील आज भी सालों से अपनी प्यास बुझाने के लिए हरियाणा सरकार की और उम्मीद भरी नजरों से देख रही है उसके बावजूद भी फरीदाबाद प्रशासन की ढेरों कोशिशें की थी

परन्तु इस प्रकृति की अनुपम उपहार को बचा पाने में नाकामयाब साबित हो रही है। इस झील की सुंदरता की बात करें तो भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भी इसकी सुंदरता निहारने से खुद को दूर नहीं रख सकी थी।।

बड़खल खील तस्वीर 2006

भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने सन 1972 में अपना जन्मदिन मनाया और वह झील की सुंदरता से इस कदर प्रभावित हो गई थी कि उन्हें समय-समय पर परिवार सहित यहां आना और वोटिंग करना पसंद आता था। यही कारण है कि शायद हो सकता है अब फरीदाबाद के नेताओं को यह झील गले की फांस बनता नजर आ रहे हैं।

सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड के वैज्ञानिकों का दावा है कि साल 2006 में ही बड़खल झील का पानी सूख गया था उनके अनुसार उसी दरमियान सूरजकुंड और दमदमा झील का पानी भी सूखता जा रहा था।

बड़खल झील तस्वीर 2010

कुछ वैज्ञानिकों के अनुसार बरसाती पानी जमा होने से भी झील के पतन का कारण अवैध माइनिंग को माना गया है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट माइनिंग को लेकर प्रदेश सरकार को कड़ी प्रतिक्रिया भी दे चुका है।

यही कारण है कि सूखी पड़ी झील को निहारने के लिए कोई भी सैलानी यहां दूर-दूर तक नजर नहीं आता। इसका कारण साफ-साफ यही है कि झील में ना तो पानी है ना ही कोई हरियाली। इसका नकारात्मक प्रभाव हॉर्स राइडिंग और कैमल राइडिंग वालों पर भी पड़ता है,

तस्वीर 2014

क्योंकि पर्यटक ना आने के कारण उनके पास रोजगार का कोई साधन नहीं होता। इसका खामियाजा हरियाणा सरकार की होटलों को भी भुगतना पड़ रहा है, क्योंकि प्रदेश सरकार को चाहिए कि वह बड़खल की विधायिका के चुनाव मुद्दे को साकार करने के लिए झील को फिर से विकसित करें।

तस्वीर 2018

सेटेलाइट से ली गई कुछ तस्वीरें दिखाई हैं जिसमें साफ तौर पर दिख रहा है कि 2003 से लेकर 2020 तक बड़खल झील की क्या स्थिति रही है जो 2003 में बड़खल झील पूरी पानी से लबालब भरी हुई थी

वही 2020 तक पहुंचते-पहुंचते इस जिले अपनी सारी सुंदरता को दी और यह एक खाली बंजर जमीन का टुकड़ा प्रतीत होने लगी

आज हरियाणा टूरिज्म डे है पर यह काफी दुर्भाग्यपूर्ण स्तिथि है हरियाणा टूरिज्म में अहम हिस्सा निभाने वाली बड़खल झील अपनी बदहाली पर आंसू बहा रही है ।

Avinash Kumar Singh

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