इस दुनिया में अगर किसी को सबसे उच्चा स्थान प्राप्त है तो वो है हमे ज़िन्दगी और किताबी देने वाले शिक्षक। कबीर दास जी का वो दोहा सबने ही सुना होगा ” गुरु गोविंद दोहु खड़े, काके लागु पाव ,बाल्हिहारी गुरु आपने गोविन्द दियो बताये ” इस दोहे में भगवान ने भी सबसे उच्चा दर्जा गुरु को दिया है।
गुरु वो है जो अपने सपनो की बलिदानी देकर अपने बच्चो का भविष्य का बनने के लिए दिन रात एक कर देता है।शुरआती दौर से बच्चे अपने गुरुकुल जाकर शिक्षा ग्रेहेन करते थे।
लेकिन बदलते समय ने देश की तस्वीर ही बदलकर रख दी है। आज पूरा विश्व एक ऐसी बीमारी के चंगुल में फस चूका है ,जिसके बारे में आज तक किसी ने सोचा भी नहीं होगा। कोरोना महामारी ने सब कुछ बदल कर दिया है। फिर चाहे वो शिक्षा ग्रेहेन करना हो या ऑफिस का कोई कार्य। आज सब करने के तोर तरिके बदल चुके है। लेकिन इसके कारण अगर किसी को सबसे ज्यादा दिक्क्त हो रही है तो वो है हमारे ऐसे शिक्षक जो आदुनिक काल के तकनिकी से रूबरू नहीं है। क्युकी आज के टाइम में सब कुछ ऑनलाइन हो गया है।
बदलते परिवेश में शिक्षा पर भी बहुत असर पड़ा है जहां इस कोरोना काल में स्कूल बंद कर दिए गए हैं ताकि इस भयावह वायरस का असर किसी छोटे मासूम कि जिंदगी पर ना पड़े जिस प्रकार सरकार द्वारा यह प्रयास किए जा रहे हैं कि हर कोई कोरोनावायरस से बचा जा सके उसे बचाया जा रहा है इसी कड़ी में स्कूली बच्चे भी शामिल हैं
लेकिन अब सवाल उठता है बच्चों की शिक्षा को लेकर अगर इस प्रकार ही स्कूल बंद रहे तो बच्चों के साल खराब होते नजर आएंगे और अपने जीवन लक्ष्य को पाने के लिए वह पीछे रह सकते हैं
कहते हैं कि अगर समस्या है तो उसका समाधान भी जरूर होगा नहीं शैक्षिक संस्थानों ने इसका हल ढूंढ लिया है उन्होंने सोचा कि क्यों ना ऑनलाइन क्लासेज के माध्यम से बच्चों के लिए शिक्षा को निरंतर रूप से चलाया जा सके जिससे बच्चों की पढ़ाई पर कोरोना का असर ना पढ़ सके और वह अपनी पढ़ाई को कंटिन्यू कर सकें
हालांकि ऑनलाइन क्लासेज का काफी हद तक चर्चा का विषय बनी रही की ऑनलाइन क्लासेस का मतलब स्कूल प्रबंधन द्वारा फीस वसूली उद्देश्य है एक समय कैसा था जब सभी अभिभावक इन क्लासेस का विरोध कर रहे थे लेकिन अब उन्होंने इसमें स्वीकार दिया है अब पेरेलस्की इसमें अपने मौजूदगी दर्ज कराते हैं और सहयोग देते हैं
टीचर्स के लिए कितना मुश्किल है ऑनलाइन क्लासेस देना
यह सोचने वाला विषय है की के प्रत्येक अध्यापक आधुनिक युग का नहीं हो सकता कुछ एक पीढ़ी पीछे भी है जैसे यदि कोई टीचर 50 वर्ष की है तो उनके लिए भी यह उतना ही नया है जितना आजकल उन बच्चों के लिए है जो ऑनलाइन क्लासेस ले रहे हैं जिस टीचर ने कवि कैमरा शेष नहीं किया हो आज वह दो दो तीन तीन घंटे कैमरे के सामने बैठकर बच्चों को क्लासिक दे रहे हैं बहुत सी बार तो अध्यापकों को लैपटॉप इतनी अच्छी तरीके से यूज़ करना नहीं आता है जितना आजकल की आधुनिक पीढ़ी लैपटॉप का कमाल करते हैं लेकिन फिर भी एक टीचर का जो कर्तव्य है वह सभी टीचर कर रहे हैं तो टीचर्स के लिए एक धन्यवाद तो बनता है जो अपनी जॉब को निभाते हुए वह आपको शिक्षा दे रहे हैं।
ऐसी ही एक दस्ता सतयुग दर्शन स्कूल के अध्यापक दीपक रात्रा की है जो की एक केमिस्ट्री के अध्यापक है जिन के अंदर बच्चो को बांटने के लिए ज्ञान तो बहुत है लेकिन तकनिकी के ज्ञान में थोड़ा पीछे है। जब लॉकडाउन के दौरान ऑनलाइन क्लासिस शुरू हुई तब उन्हें समज नहीं आया किस तरीके से बच्चो को पढाये। उनका कहना है की शुरआती दौर में उन्हें बहुत परेशानी आयी परन्तु बच्चो की मद्द्त से आज उन्हें ऑनलाइन क्लास देने में पहले की तरह दिक्कत नहीं आती।
और उन्होंने साथ ही अपने बच्चो को भी धन्यवाद दिया। और शिक्षक दिवस पर अपने बच्चो को शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनये दी। क्युकी आज अगर वो बच्चो को आपने ज्ञान बाट पा रहे है तो उसका कारण है उनके छात्र।