औद्योगिक नगरी के नाम से जगत में मशहूर हरियाणा का नाम बेरोजगारी में सर्वाधिक विकेट गिरने के बाद सर्वप्रथम राज्यों में गिना गया था। अब जब Ease Of Doing Business Ranking में भी हरियाणा को लुढ़का कर तीसरे से 16 स्थान पर पहुंचा दिया है।
ऐसा होने के बाद अब हरियाणा सरकार के लिए औद्योगिक विकास को और अधिक बढ़ावा देने के लिए मशक्कत करने जैसी चुनौती को सामने लाकर खड़ा कर दिया है।
वहीं अन्य राज्यों की बात करें तो पंजाब को एक स्थान का उछाल देखने को मिला और वह 20वें से 19वें स्थान पर आया है। यह सब होता देख उद्योग विभाग का कार्यभार देख रहे
हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कहा कि प्रदेश में उद्योगाें को और बेहतर सुविधाएं व माकूल माहौल दिया जाएगा। वहीं उपमुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य की नई औद्योगिक नीति अगले माह घोषित की जाएगी।
इस बाबत केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने शनिवार को राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की इज ऑफ डूइंग बिज़नेस रैंकिंग जारी करते हुए बताया कि इस बार इसमें पिछली बार के मुक़ाबले हरियाणा की रैंकिंग में बड़ी गिरावट आई है।
गौरतलब, हरियाणा को Ease Of Doing Ranking में तीसरा स्थान मिला था और इससे हरियाणा सरकार बहुत उत्साहित हुई थी। इसके बाद राज्य में औद्योगिक विकास की संभावनाओं को और बल मिला था।
पर कोरोना वायरस काे कारण लागू हुए लॉकडाउन के चलते बेरोजगारी बढ़ने के बाद हालात बद से बदतर होते चले गए।
निर्मला सीतारमण और पीयूष गोयल ने 2019 के लिए Ease Of Doing Business Ranking जारी की तो हरियाणा को बहुत बड़ा झटका लगा। उसे 13 स्थानों की बड़ी गिरावट के साथ 16 वें पायदान पर संतोष करना पड़ा। हरियाणा में इससे बड़ी चुनाैती पैदा हो गई है।
हरियाणा में औद्योगिक विकास को तेज करने मेें जुटी सरकार को अब इसमें और बेहतर रणनीति से कार्य करना होगा। उधार, सरकार दावा करती रही है कि राज्य में काफी संख्या में कंपनियों निवेश करना चाहती हैं और इसके लिए उनको बेहतर सुविधाएं व ऑफर दिए गए हैं।
दरअसल कोरोना संक्रमण से जूझ रहे हरियाणा में श्रमिकों के पलायन सहित दूसरे अन्य कारणों से औद्योगिक गतिविधियां प्रभावित होने के बावजूद अब हरियाणा सरकार खासकर उद्योग एवं वाणिज्य विभाग संभाल रहे उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के लिए बड़ी चुनौती पैदा हो गई है। दुष्यंत के समक्ष पूर्व उद्योग मंत्री विपुल गोयल के समय की रैंकिंग दोबारा पाने की चुनौती है।
मनोहर सरकार ने पहली पारी की शुरुआत की तो हरियाणा ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में राष्ट्रीय स्तर पर 14वें स्थान पर था। मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अगुवाई में तत्कालीन उद्योग मंत्री विपुल गोयल ने उद्योगों को कई सहूलियतें दीं
और इससे हरियाणा 2017-18 की Ease Of Doing Business Ranking में 11 स्थान की छलांग लगाते हुए तीसरे स्थान तक पहुंच गया। इस दौरान राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर के कई औद्योगिक प्रस्ताव आए। गुरुग्राम में अंतरराष्ट्रीय स्तर का सम्मेलन हुआ जिसमें कई बड़े प्रोजेक्ट प्रदेश को मिले।
विगत विधानसभा चुनावों में विपुल गोयल को टिकट ही नहीं मिला। मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नेतृत्व में विपुल गोयल ने अपने कार्यकाल के दौरान उद्योगों को माहौल के मामले में हरियाणा को देश के पहले तीन राज्यों की पंक्ति में लाकर खड़ा कर दिया था,
लेकिन अब एक बार फिर से नए उद्योग मंत्री के सामने विपुल गोयल की इस उपलब्धि को दोबारा उसी स्थान पर लाने की बड़ी चुनौतियां आन खड़ी हुई हैं। यह बात यहां इसलिए कहीं जा रही है क्योंकि पूर्व मंत्री विपुल गोयल के सत्ता में होते हुए हरियाणा राज्य को इज डूइंग ऑफ बिजनेस में तीसरा स्थान प्राप्त हुआ था।
इसका अर्थ है कि पूर्व मंत्री विपुल गोयल के राज में कहीं ना कहीं हरियाणा राज्य के विकास को आयाम लगते हुए देखा गया था। पूर्व मंत्री विपुल गोयल भी बीजेपी पार्टी के नेता है और ऐसे में अब उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के सामने एक चुनौती खड़ी हो गई है जिस चुनौती के अनुसार उन्हें एक बार फिर हरियाणा राज्य को इज डूइंग ऑफ बिजनेस रैंकिंग में उसकी पहली जगह वापस लानी होगी।
छह महीने के अंतराल में लोकसभा चुनाव और फिर विधानसभा चुनाव के चलते भी औद्योगिक गतिविधियां प्रभावित हुईं। महामारी से भी औद्योगिक माहौल प्रभावित हुआ जिसका असर प्रदेश की रैंकिंग में गिरावट के रूप में दिखा है।
वहीं, उद्योग विभाग संभाल रहे उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला का कहना है कि प्रदेश में उद्योगों के लिए और अधिक माकूल माहौल बनाने के लिए प्रदेश सरकार 2025 तक के लिए नई उद्योग नीति बना रही है। इसको अगले माह लागू किया जाएगा। उद्योगों से जुड़ी तमाम शिकायतों को दूर करने के लिए सिंगल विंडो सिस्टम लागू किया गया है। इससे न केवल इंस्पेक्टरी राज पूरी तरह खत्म हो जाएगा, बल्कि उद्योगों की बाधाएं भी दूर होंगी। नए उद्योगों को प्रोत्साहित करने के साथ ही पूर्व में हुए समझौतों को धरातल पर उतारने की कोशिश कर रहे हैं। चीन में मौजूद कई विदेशी कंपनियां हरियाणा में निवेश की इच्छुक हैं।
ईज ऑफ डूइंग बिजनेस का अर्थ
ईज ऑफ डूइंग बिजनेस का अर्थ है कि प्रदेश में कारोबार करने में कारोबारियों को कितनी आसानी होती है। कारोबार शुरू करने और उसे चलाने के लिए माहौल कितना अनुकूल है। अगर किसी कंपनी को कारोबार शुरू करने में कठिन कानूनी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है या संबंधित विभागों से अप्रूवल लेने के लिए बहुत चक्कर कटने पड़ते हैं या फिर बिना रिश्वत दिए आसानी से कारोबार करने की मंजूरी नहीं मिलती और कागजी कार्रवाई ज्यादा हो तो उसकी रैंकिंग नीचे लुढ़क जाती है।