हाल फिलहाल फरीदाबाद में 26 गाँवों को नगर निगम में समाहित करने का फैसला लिया जा रहा है। इस फैसले से तमाम गाँव सरपंच नाखुश नज़र आ रहे है। कल बुधवार के दिन सरपंच एसोसिएशन के कार्यकर्ताओं ने बल्लभगढ़ बीडीओ दफ्तर के बाहर जमकर हंगामा किया। तमाम गाँव सरपंच इस फैसले का विरोध करने धरना प्रदर्शन में शामिल हुए थे।
ग्राम पंचों की माने तो जो गाँव अभी नगर निगम में समाहित हुए हैं वहाँ पर विकास के अंश नहीं देखे जा सकते। हमने सरपंचों के द्वारा नगर निगम पर लगाए गए आरोपों की तफ्तीश शुरू की। पड़ताल करने के लिए हमने सबसे पहले फरीदाबाद के ग्राम गौंछी से शुरुआत की। गाँव के प्रवेश द्वार पर ही कूड़े का अम्बार लगा हुआ है।
जगह जगह दलदल ने गाँव की सरज़मीं पर अपने पैर पसार रखे हैं। कूड़े के ढेर में से दुर्गन्ध आती है जिससे ग्राम वासियों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। लोगों का कहना है कि गाँव के बहुत सारे बच्चे बीमार हो चुकें हैं और इसका कारण गंदगी है। गाँव वासियों ने जब भी इस बारे में निगम कार्यकर्ताओं से मदद मांगी है उनके हाथ नाकामयाबी ही लगी है।
इसके बाद हमने जायज़ा लिया ऊंचा गाँव का। एक ऐसा गाँव जहाँ पर विकास देखा जा सकता है पर कुछ वादें हैं जिन्हे अभी तक पूरा नहीं किया गया है। आपको बता दूँ कि नगर निगम द्वारा हर ग्राम में पार्क बनाने की बात की गई थी। लोगों का कहना है कि यह कथन महज़ जुमला है और गाँव में पार्क के स्थान पर जगह जगह लोगों ने अतिक्रमण किया हुआ है।
गाँव में कई जगहों पर खम्बे लगे हुए हैं जो एक दम जर्जर अवस्था में हैं। यह खम्बे कभी भी टूट सकते हैं जिससे जनता के बीच दुर्घटना का भय बना हुआ है। अगला गाँव है ग्राम मुजेसर। इस गाँव पर एक कहावत सटीक बैठती है। हाथी के दांत खाने के और दिखने के और। गांव में घुसते ही एक बाज़ार नज़र आता है जो काफी साफ़ है।
पर जैसे ही आप गाँव के गर्भ में प्रवेश करेंगे तो आपको विकास की टूटी हुई टांग देखने को मिलेगी। मुजेसर गाँव की जिन गलियों में आम जनता रहती है वहाँ हालत बात से बदतर हो रखे हैं। कूड़ा, कीचड़ और नालियां सब इस गाँव को मिलकर खा चुके हैं। लोगों ने बात करने पर बताया कि बरसात में गाँव के हालत काफी बिगड़ जाते हैं।
नालियां बंद हो जाती है जिस कारण लोगों को ही गंदे पानी में उतर कर कूड़ा निकालना पड़ता है। बहुत बार लोग गंदे पानी में उतर कर बीमार पड़ चुके हैं। जब ग्राम वासियों से इस बात की शिकायत करने के लिए कहा गया तब उनका कहना था कि उनकी दलीलों और शिकायतों को हमेशा ही अनदेखा कर दिया जाता है। ऐसे में यह देखना लाज़मी होगा कि 26 नए गाँवों से पंचायती राज हटाने का फैसला सही होगा या नहीं।