किसान को भारत में अन्नदाता माना जाता है, लेकिन अन्नदाता ही यदि सड़कों पर उतर आये तो ? दरअसल, केंद्र सरकार के तीन कृषि अध्यादेशों को किसान विरोधी बताते हुए प्रदेश में हजारों किसान को सड़कों पर उतर आए हैं। भारतीय किसान संघ और अन्य किसान संगठनों ने कुरुक्षेत्र के पिपली में राष्ट्रीय राजमार्ग को जाम कर दिया। भारतीय किसान संघ ने दावा किया कि पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज किया।
अपनी बात कहना सही बात है लेकिन सड़कों पर इस कदर जाम कर देना सही नहीं। प्रदेश में सड़क पर उतरे किसान केंद्र सरकार के उन तीन अध्यादेशों का विरोध कर रहे हैं, जो कि मंडियों और किसानों से जुड़े हुए हैं।
विपक्ष भी राजनीती में सक्रीय हो गया है। केंद्र सरकार ने तीन अध्यादेशों के जरिए फसलों के खरीद संबंधी नए नियम बनाए हैं, जिससे किसान नाराज हैं। सरकार ने जो पहले अध्यादेश बनाये हैं उसके मुताबिक, अब व्यापारी मंडी से बाहर भी किसानों की फसल खरीद सकेंगे। पहले किसानों की फसल को सिर्फ मंडी से ही खरीदा जा सकता था।
किसानों के लिए भारत सरकार बहुत से कार्य कर रही है। वहीं केंद्र ने अब दाल, आलू, प्याज, अनाज, इडेबल ऑयल आदि को आवश्यक वस्तु के नियम से बाहर कर इसकी स्टॉक सीमा खत्म कर दी है। इन दोनों के अलावा केंद्र सरकार ने कॉन्ट्रैक्ट फॉर्मिंग को बढ़ावा देने की भी नीति पर काम शुरू किया है, जिससे किसान नाराज हैं।
हरियाणा और भारत का सोया हुआ विपक्ष भी ओछी राजनीती कर रहा है। प्रदेश में किसानों ने जमकर नारेबाजी और प्रदर्शन किए हैं। कुरुक्षेत्र की पुलिस अधीक्षक आस्था मोदी ने कहा कि प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रीय राजमार्ग को अवरुद्ध कर दिया। एक पुलिस अधिकारी के मुताबिक गत दिनों, ‘सैकड़ों किसान पिपली चौक तक पहुंचे और पुलिसकर्मियों पर पथराव किया। किसानों ने वहां खड़ी दमकल की गाड़ी के खिड़की के शीशे भी तोड़ दिए।