धरती पर स्वर्ग बनाने की इच्छा रखती है 7 साल की ये नन्ही बच्ची, स्कूल की किताब में छपी कहानी

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धरती पर स्वर्ग तो जैसे कहीं गुम हो गया है। हसीं वादियां, खुला आसमां, साफ़ पानी की झीलें और ऊँचे पहाड़। प्रकृति का यह रूप कैसा निराला हुआ करता होगा। बढ़ते धुल, मिट्टी और प्रदूषण ने जैसे सब जगाओं को एक सामान कर दिया हो।

स्कूल में पढ़ाई गयी कुछ बातों में से एक बात ऐसी भी है जो यहाँ बैठती है। बचपन में सिखाया जाता है ‘धरती हमारी माँ है और इसको साफ़ रखना हमारी ज़िम्मेवारी है’ और इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण दिया है एक 7 साल की बच्ची ने। इस बच्ची ने धरती की ‘जन्नत’ को बचाने के लिए जो कुछ किया उसकी बहुत तारीफ़ हो रही है।

धरती पर स्वर्ग बनाने की इच्छा रखती है 7 साल की ये नन्ही बच्ची, स्कूल की किताब में छपी कहानी
धरती पर स्वर्ग बनाने की इच्छा रखती है 7 साल की ये नन्ही बच्ची, स्कूल की किताब में छपी कहानी

कहते हैं कि धरती पर अगर कहीं जन्नत है तो वो जम्मू-कश्मीर में है क्यूंकि यहाँ के खूबसूरती और प्रकृतिक नज़ारे किसी का भी मन मोह लेते हैं। जम्मू-कश्मीर की यात्रा श्रीनगर की डल झील (Dal Jheel) जाए बिना अधूरी मानी जाती है।

दिखने में यह डल-झील किसी जन्नत से कम नहीं है और कई सैलानी यहां बोटिंग का आनंद भी लेते हैं। पर बदलते समय और आधुनिकता के साथ यहां साफ़ सफाई की तरह थोड़ा काम ध्यान दिया गया जिसकी वजह से कुछ समय से डल झील का रूप बिगड़ता नज़र आया।

धरती पर स्वर्ग बनाने की इच्छा रखती है 7 साल की ये नन्ही बच्ची, स्कूल की किताब में छपी कहानी

इस झील की खूबसूरती को बनाए रखने के लिए यह जरूरी है कि इसकी साफ़ सफाई होती रहे। अब ऐसे में ये जिम्मा एक 7 साल की बच्ची ने उठाया है। जन्नत नाम की ये 7 वर्षीय बच्ची पिछले दो साल से डल झील की सफाई कर रही है।

धरती पर स्वर्ग बनाने की इच्छा रखती है 7 साल की ये नन्ही बच्ची, स्कूल की किताब में छपी कहानी
धरती पर स्वर्ग बनाने की इच्छा रखती है 7 साल की ये नन्ही बच्ची, स्कूल की किताब में छपी कहानी

जन्नत अपने पिता के साथ एक छोटी सी बोट में बैठकर इस झील की सफाई करती है. वे ये काम रोज स्कूल से आने के बाद करती है। जन्नत की कहानी से स्कूल के सभी बच्चे प्रेरणा ले सकें इसके लिए जन्नत की कहानी स्कूल की हिंदी की किताब में छपवायी गयी।

स्कूलों में पर्यावरण को स्वच्छ रखने का महत्तव सभी वर्ग के बच्चों को समझाया जाता है और जन्नत की यह कहानी सभी के लिए प्रेरणास्तोत्र है।
Written By- MITASHA BANGA