कपड़ों की खरीद घाटी, गारमेंट उद्योग की मुश्किलें बढ़ी। आख़िर कब मिलेगी राहत

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एक महामारी ने पुरे विश्व की अर्थव्यवस्था को झकझोर कर रख दिया। विश्व का सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका भी इसकी मार से बच न पाया तो भारत में भी हाल बुरे हैं। लॉक डाउन की प्रक्रिया के चलते पुरे देश में सभी प्रकार की सेवाओं पर पाबंदी लगा दी गयी और अब जब 6 महीने बाद काम काज शुरू हो रहा है तो भी उद्योगपतियों और कारोबारियों को किसी प्रकार की बड़ी रहत नहीं मिली है।

कपड़ों की खरीद घाटी, गारमेंट उद्योग की मुश्किलें बढ़ी। आख़िर कब मिलेगी राहत

लॉक-डाउन की मार गारमेंट उद्योग पर भी उतनी ही बुरी पड़ी जितनी बाकी क्षेत्रों पर। देश-विदेश के बाज़ारों के लिए माल तैयार करने वाले उद्यमी आर्डर के इंतज़ार में हैं। लॉक-डाउन के चलते सब जगह आर्डर में गिरावट आयी है जिसके चलते अब कारोबारियों का यह कहना है कि दिवाली से भी गारमेंट फ़ैक्टरियों को ख़ास फायदा नहीं होने वाला। अब तो अगले वर्ष से ही गारमेंट उद्योग में सुधार होने की उम्मीद है।

कपड़ों की खरीद घाटी, गारमेंट उद्योग की मुश्किलें बढ़ी। आख़िर कब मिलेगी राहत

फरीदाबाद के इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के प्रधान बी.आर भाटिया का कहना है कि लॉक-डाउन की वजह से आर्डर में काफी कमी आयी है। कोरोना का देसी-विदेशी बाजार पर गहरा असर हुआ है। पहले के मुकाबले आर्डर की संख्या आधी है। उद्योगों को पहले की आर्डर नहीं मिल रहे हैं।

कपड़ों की खरीद घाटी, गारमेंट उद्योग की मुश्किलें बढ़ी। आख़िर कब मिलेगी राहत

उम्मीद है इस सेक्टर में बहार जल्द आएगी। वहीं संजय गोयल ने बताया कि उनकी यूनिट में भारतीय बाज़ारों के लिए ही काम होता है। संजय फरीदाबाद के एक कारोबारी हैं। कि बाजार में खरीदारी काफी कम है। बाज़ार से आर्डर न आने पर ऑनलाइन बिक्री की जा रही है। त्योहारों का सीजन शुरू होने पर बिक्री की उम्मीद है। कर्मचारियों की छटाई से बाज़ारों की हालत खराब हुई है।
Written By- MITASHA BANGA