महामारी कोरोना न जाने क्या-क्या दिखा देगी। पेट्रोल-डीज़ल के दाम इतने बढ़ चुके हैं कि आम आदमी भरवाने से पहले हज़ारों बार सोचे लेकिन कोविड हॉस्पिटल बने कल्पना चावला राजकीय मेडिकल कॉलेज में मरीजों और तीमरदारों के साथ किए जा रहे दुर्व्यहार और लापरवाही की जो तस्वीर सामने आई है, अव अमानवीय और रोंगटे खड़े कर देने वाली है।
किसी भी धर्म में मरने के बाद डीज़ल से आखिरी विदाई या दाह संस्कार करने का वर्णन नहीं मिलता है। करनाल की नगर निगम की कार्य प्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे हैं। यहां दाह संस्कार की परंपरा का भी ध्यान नहीं रखा जा रहा है।
सनातन धर्म में सभी बातें किसी न किसी कहानी के पीछे ही कही गई हैं। आपको बता दें करनाल में कुछ परिजनों का आरोप है कि शमशान घाट पर डीजल डालकर कोरोना मृतकों की चिताएं जलाई जा रही हैं। उनकी राख के ऊपर से एंबुलेंस निकाली जा रहीं हैं। इसे सीधे तौर पर सनातनी दाह संस्कार परंपरा का अपमान बताकर कई समाजसेवियों ने कड़ी नाराजगी जाहिर करते हुए उसकी उच्च स्तरीय जांच कराकर दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है।
मरने से पहले तो इंसान की कोई इज़्ज़त करता नहीं लेकिन मरने के बाद भी ऐसा व्यवहार ? यहां की बलड़ी शमशान घाट पर कोरोना संक्रमण से मृतकों के अंतिम संस्कार के लिए कुछ दिन पहले तीन शव लाए गए थे। वहां उनके परिजन भी मौजूद थे, जिन्होंने कल्पना चावला मेडिकल कॉलेज में उपचार और नगर निगम द्वारा कराए जा रहे दाह संस्कार की व्यवस्थाओं पर सवाल खड़े किए हैं।