लॉक-डाउन के चलते जब पुरे देश में सभी प्रकार की सेवाओं पर रोक लगायी तो मकानों की रजिस्ट्री भी बंद हो गयी। अब 6 महीने बाद जा के जब अनलॉक की प्रक्रिया के अंतर्गत ज़िन्दगी वापिस पटरी पर आ रही है तो रजिस्ट्रियां भी होनी शुरू हो गयी हैं।
रजिस्ट्रियों में हेराफेरी को रोकने के लिए सरकार द्वारा लागू किए गए नए सॉफ्टवेयर में डेवलपमेंट चार्ज अदा करने के बाद ही रजिस्ट्री हो पाएगी। 120 रुपये प्रति स्कवेयर यार्ड का भुगतान के बाद ही सॉफ्टवेयर शहर की 26 कालोनियां व लाल डोरे में ही रजिस्ट्री कर रहा है।
बताया जा रहा है कि इस सॉफ्टवेयर में काफी समस्या भी हैं। यह सॉफ्टवेयर कंट्रोल एरिया को अर्बन मान रहा। सबसे अधिक परेशानी तो पुराने मकान बेचने की स्थिति में डेवलपमेंट चार्ज मांगा जा रहा है।
डीड राइटर राजेश बतरा ने बताया कि नए साफ्टवेयर में एक समस्या यह भी आ रही है कि दस किमी के एरिया को साफ्टवेयर अर्बन एरिया मानता है जबकि यह शहर से बाहर का कंट्रोल एरिया है। अर्बन एरिया दिखाकर 2 फीसद स्टांप डयूटी मांगी गई है। उनके अनुसार साफ्टवेयर में जमीन पर ऋण लेने या जीपीए से रकबा बेचने में भी परेशानी आ रही है।
साफ्टवेयर में एक अन्य दिक्कत इंडस्ट्रीयल एरिया तथा ए से एफ ब्लॉक के मकानों की रजिस्ट्री को लेकर है। इस क्षेत्र की रजिस्ट्री नहीं हो रही है। रजिस्ट्री करवाने वाले लोगों का कहना है कि नए साफ्टवेयर से लोगों को बहुत परेशानी आ रही है।
सॉफ्टवेयर में बार बार ऑब्जेक्शन लग जाती है। कभी खेवट नंबर नहीं मिलता तो कभी खसरा नंबर। तकसीम, मुस्तर्के खातों में भी परेशानी आ रही है। रजिस्ट्री करवाने वालों को एक दिक्कत यह भी आ रही है कि ऑनलाइन रिकार्ड नहीं मिल रहे हैं।