पलकें बिछाए बैठे को बस एक हल्की सी आहट की जरूरत होती है आखें खोलने के लिए। कुछ ऐसा ही हुआ है दुकानदारों के साथ। अर्ध्य रात्रि गृह मंत्री ने आदेश दिए थे कि सभी प्रकार के दुकानों को कुछ शर्तों के साथ खोला जा सकेगा। जिसमें से कंटर्मेंट जॉन को आउट रखा कर दिया गया था।
तो बस क्या था जैसे ही यह ख़बरें एक महीने से घर में कैद दुकानदारों के कानों में गूंज उठी, लोगों के मन में जागृत हो गई की अब वह कुछ कमा खा सकेंगें। एक महीने से बन्द पड़े दुकानों के कारण उनके रोजगार को ग्रहण लगता दिखाई दे रहा था।
जैसे ही यह आदेश सार्वजानिक हुआ लोगों ने बिना किसी हिचकचाहट के दुकानों को खोल पैसों के बंदोबस्त में जुट गए। इनमें अधिकतर वो लोग शामिल थे जिनकी दुकान गली चौरहें में नहीं बल्कि बड़े बड़े मार्केट के अन्तर्गत आती है।
उक्त तस्वीरों को गौर से देखिए, यह तस्वीरें सैक्टर -10, एनआईटी -3 तथा एनआईटी -5 की है। जहां दुकानों के शटर जितनी तेज़ी से उठाए गए, उतने ही तेज़ी से लोगों का आवागमन या यूं कहें कि घरों में कैदियों से रिहाई का लुफ्त उठाया जा सकें यह विचार लोगों को अब इन मार्केट की ओर आकर्षित कर रहा है।
हालाकि जितनी नासमझी इसमें आमजन की उससे कई ज़्यादा प्रशासन की है, क्योंकि उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया था कि इन आदेशों में मार्केट के अन्तर्गत आने वाली दुकानों को भी शामिल किया जाएगा या नहीं। उसके बावजूद अगर यह आदेश उक्त लोगों के लिए नहीं भी था तो प्रशासन को जल्द ही इस मौके का जायजा लेते हुए लोगों को समझाना चाहिए। क्योंकि जो स्थिति अभी देश की है ओर अब जो सुधार देखने को मिले हैं, लोगों का घर बैठे बैठे सब्र का बांध टूटने को था। और ऐसे में लोगों को उम्मीद की किरण दिखा उनके साथ इस तरह की जानकारी देना वो किसी बबाल से कम नहीं होगा।