हरियाणा में 10,000 से अधिक किसानों ने फसल अवशेष प्रबंधन योजना ‘फसलों के इन-सीटू प्रबंधन के लिए कृषि यंत्रीकरण को प्रोत्साहन’ के तहत कृषि उपकरणों के लिए आवेदन करके कृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा फसल अवशेष जलाने के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान का हिस्सा बनने की इच्छा जाहिर की है।
यह कस्टम हायरिंग सेंटर (सीएचसी) से मशीनरी किराए पर लेने और योजना के तहत व्यक्तिगत लाभार्थियों को उपकरण प्रदान करने में छोटे और सीमांत किसानों को वरीयता देने के राज्य सरकार के एक हालिया फैसले के बाद हुआ है। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री संजीव कौशल ने आज यहां यह जानकारी देते हुए बताया कि व्यक्तिगत किसानों और सोसायटियों से 21 अगस्त तक ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित किए गए थे।
इसके परिणामस्वरूप 13,620 उपकरणों के लिए 10,967 किसानों ने आवेदन किया, जबकि लक्ष्य 3,561 उपकरणों का था। इनमें से 2,300 आवेदन सीएचसी से उपकरण किराए पर लेने के लिए और 11,311 आवेदन व्यक्तिगत लाभार्थियों के हैं। उन्होंने कहा कि व्यक्तिगत श्रेणी में, लाभार्थियों का चयन जिला स्तर की कार्यकारी समिति द्वारा ऑनलाइन लॉटरी के माध्यम से किया गया, जिसमें छोटे और सीमांत किसानों के लिए 70 प्रतिशत आरक्षण किया गया था।
सीएचसी से उपकरण किराए पर लेने के लिए भी छोटे और सीमांत किसानों के लिए 70 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की गई थी। इस योजना के तहत अब तक 2,265 लाभार्थियों का चयन किया जा चुका है, जिनमें 1,714 व्यक्तिगत और 551 ऐसे हैं, जिन्हें सीएचसी से उपकरण किराये पर लेने हैं। श्री कौशल ने बताया कि कमेटी लाल और पीले/नारंगी जोन के अंतर्गत आने वाले गांवों में प्राथमिकता के आधार पर लाभार्थियों का चयन कर रही है।
जोन की पहचान पिछले साल फसल अवशेष जलाने की घटनाओं के आधार पर की गई है। रुपये की धुन के लिए एक व्यापक योजना। उन्होंने बताया कि राज्य में अवशेष जलाने से रोकने के लिए फसल अवशेष प्रबंधन हेतु 1,304.95 करोड़ रुपये लागत की एक व्यापक योजना स्वीकृत की गई है। केंद्र सरकार ने इस वर्ष इस योजना के तहत राज्य को 170 करोड़ रुपये की राशि मुहैया करवाई है।
राज्य सरकार फसल अवशेष प्रबंधन के लिए उपकरण वितरित करने, सीएचसी स्थापित करने और कृषि एवं किसान कल्याण निदेशालय में राज्य मुख्यालय में डेडिकेटेड कंट्रोल रूम स्थापित करने सहित पुआल के इन-सीटू (खेत में) प्रबंधन के लिए हरसंभव उपाय कर रही है। आईसीएआर के आंकड़ों के अनुसार, विभाग द्वारा की गई पहल के कारण वर्ष 2018 की तुलना में 2019 में आग लगाए जाने वाले वास्तविक स्थानों में 68.12 प्रतिशत की तेज गिरावट आई। राज्य में 6 से 30 नवंबर, 2018 के बीच आग लगाए जाने वाले 4,122 तथा 2019 में इसी अवधि के दौरान 1,314 ऐसे स्थान पाए गए, जहां आग लगाई थी।