मास्क ना होने पर कार चालक का काटा चालान, तो सरकार पर ठोका मुक़दमा माँगा 10 लाख का हर्जाना

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अगर आप कार अकेले चला रहे हैं तो मास्क लगाना ज़रूरी नहीं, फिर भी दिल्ली पुलिस ने की कार्रवाई, और इस कार्रवाई के चलते दिल्ली पुलिस सवालों के घेरे में आ गई है। दरअसल पुलिस ने ये कार्रवाई एक वकील के ऊपर की है और वकील का कहना है कि मेरे ऊपर दिल्ली पुलिस की कार्रवाई बेबुनियाद है।

क्योंकि जब मैं अकेला कार चला रहा हूं और कार में कोई और अन्य व्यक्ति मौजूद नहीं है और कार के शीशे पूरी तरह से बंद हैं तो फिर मैं फेस मास्क लगाउं या ना लगाउं इसमें मेरी तरफ से लापरवाही कैसी और कहां हुई है। मैं हमेशा से ही इसी तरह अपने वाहन का इस्तेमाल किया करता हूं।

मास्क ना होने पर कार चालक का काटा चालान, तो सरकार पर ठोका मुक़दमा माँगा 10 लाख का हर्जाना

वकील का बिना मास्क पहने कार चलाने पर कटे चालान की वजह से वकील ने सरकार से 10 लाख के मुआवजे की मांग भी कर डाली है। अब कोरोना काल में इसे एक हैरान कर देने वाला मामला ही तो कहेंगे।

जहां दिल्ली के वकील ने दिल्ली पुलिस पर अवैध जुर्माना काटने को लेकर कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है और 10 लाख का मुआवजा भी।

दिल्ली हाई कोर्ट में केस फाइल करते हुए उस वकील ने कहा कि बिना मास्क पहनकर अकेले कार चलाने पर भी दिल्ली पुलिस के अधिकारियों ने मुझसे 500 का रुपए का जर्माना वसूला है, जो मझे वापिस चाहिए। इतना ही नहीं उसने सार्वजनिक रूप से मानसिक प्रताड़ना का हवाला देते हुए 10 लाख रुपए के मुआवजे की भी मांग की है।

मास्क ना होने पर कार चालक का काटा चालान, तो सरकार पर ठोका मुक़दमा माँगा 10 लाख का हर्जाना

चलिए अब आपको पूरा मामला बताते हैं जहां वकील सौरभ शर्मा ने बताया कि वो 9 सितंबर को करीब 11 बजे अपने ऑफिस के लिए अपनी कार में अकेले निकले थे। वो गीता कॉलोनी के पास ही पहुंचे थे कि उन्हें कुछ अधिकारियों ने रोका और वहां खड़े एक कांस्टेबल जिसका नाम अरोड़ा था उसने मेरी तस्वीर ली।

इसके बाद मुझे नीचे उतरने को कहा गया और मेरा 500 रुपये का चालान काट दिया गया। अब देखना ये होगा कि कोर्ट इस मामले पर क्या फैसला लेती है। क्या इस फैसले को नज़ीर के रूप में देखा जाएगा या फिर ये मामला भी लंबा ही लटका रहेगा।

वैसे पुलिस तो मानवीय भूल कहकर मामले को रफा-दफा करने के लिए मशहूर है, लेकिन फिर भी अब बात वकील और पुलिस के बीच की है जिसके तहत अब देखना ये होगा कि इसपर कोर्ट क्या संज्ञान लेता है।