इरादे मजबूत और सोच फौलादी हो तो इंसान क्या कुछ नहीं कर सकता। दिल में जज़्बा और विपरीत परिस्थितियों में भी अडिग रहने की परिभाषा हरियाणा के एक युवक ने बखूबी समझायी है। एक हाथ से दिव्यांग ये युवक बल्ला हाथ में लेते ही ऐसे शॉट मारता है कि बड़े बड़े धुरंदर भी पस्त हो जाएँ। पांच साल पहले पिता का साया उठ जाने के बाद भी 25 वर्षीय क्रिकेटर आमीन ने हिम्मत नहीं हारी और आगे बढ़ते चला गया।
इतना ही नहीं, परिवार की हालत दयनीय होने के बाद भी आमीन ने अपना हौसला नहीं तोड़ा और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सीरीज जीती। वह लॉकडाउन से लेकर अब तक घर के पास बने मैदान में ही अभ्यास कर रहा है। आमीन हरियाणा के हिसार जिले के गांव कुलेरी के रहने वाले हैं।
दरअसल, बचपन से ही आमीन एक हाथ से दिव्यांग हैं। वह दूसरे हाथ से बल्लेबाजी, गेंदबाजी और क्षेत्ररक्षण करते हैं। वैसे आमीन गेंदबाजी में माहिर है लेकिन जब वह मैदान में अपनी प्रतिभा दिखाने उतरते है तो देखने वाले हैरान हो जाते हैं। आमीन ने बताया कि वर्ष 2017 में उन्होंने ढाका में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सीरीज में जीत हासिल की थी।
आमीन के घर में कमाने वाला सिर्फ बड़ा भाई सुनील है। वहीं माता सिलोचना बीमार रहती है। जिनकी दवाई चल रही है। ऐसे में घर का खर्चा मुश्किल हो जाता है। बड़े भाई की कमाई से ही घर का खर्चा चल रहा है। वहीं पांच साल पहले आमीन के पिता सुरजीत सिंह का हृदय गति रुकने से निधन हो गया था। उसके बाद परिवार की हालत और भी ज्यादा बिगड़ गई।
आमीन को बचपन से ही क्रिकेट खेलने का शौक था। बचपन में प्लास्टिक की गेंद से फिर रबड़ और उसके बाद काफी सालों तक कॉस्को की गेंद से खेला। वर्ष 2013 में आमीन ने लेदर की गेंद से खेलना शुरू किया। उनका कहना है कि बल्लेबाजी में उन्हें विराट कोहली और गेंदबाजी में भुवनेश्वर कुमार से ही प्रेरणा मिली है। आमीन वर्ष 2018 में हरियाणा टीम के कप्तान भी रह चुके हैं।