मलमास : इस महीने भूलकर भी न करें यह काम, वरना हो जाएगा बहुत बुरा

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समय के साथ सब सही होता है लेकिन कुछ काम ऐसे होते हैं जिन्हें नहीं करना चाहिए। कहा जाता है कि हर बात और काम का एक सही और उचित समय होता है। अगर सही नक्षत्र में कोई काम होता है तो समझो वो काम वैसे ही पूरा माना जाता है।

और कहा ये भी जाता है कि अगर किसी काम की शुरूआत सही समय पर की जाए तो मानों आधा काम तो वैसे ही पूरा हो जाता है। लेकिन कुछ काम ऐसे होते हैं जिन्हें एक निश्चित समय में ही करना चाहिए।

मलमास : इस महीने भूलकर भी न करें यह काम, वरना हो जाएगा बहुत बुरा

इसी के तहत बतादें कि इस महीने भूलकर भी न करें ये काम, वरना हो जाएगा बुरा, दरअसल वो काम हैं कौन से बतातें हैं आपको। बतादें कि खर मास 18 सितंबर से शुरू हो चुका है। ऐसे में लोगों के मन में इस महीने को लेकर कई तरह की आशंकाएं भी बनी रहती हैं कि क्या करना चाहिए और क्या नहीं।

बता दें कि ये महीना स्वयं भगवान विष्णु के भक्ति को समर्पित होता है। मान्यता है कि इस महीने को श्री हरि ने अपना नाम दिया था, इसलिए इसे पुरूषोत्तम मास भी कहा जाता है।

मलमास : इस महीने भूलकर भी न करें यह काम, वरना हो जाएगा बहुत बुरा

मालूम हो कि इस साल अधिकमास आश्विन माह में ही लग रहा है। अधिकमास हर 32 महीने, 16 दिन और 4 घंटे के अंतराल में आता है। इस मास के कई नाम हैं। जैसे, मलमास, मलिच्छ मास, पुरूषोत्तम मास आदि। इस साल 18 सितंबर से लेकर 16 अक्टूबर तक मलमास है।

बतादें कि इस मास में कुएं, बावली या तालाब आदि की खुदाई शुरू न करवाएं, किसी खास मनोकामना के लिए व्रत की शुरूआत न करें, किसी भी प्रकार का उद्यापन, वधु प्रवेश, सोमयज्ञ या अष्टका श्राद्ध, गौ का यथोचित दान, आग्रयण, उपाकर्म, मंत्र दीक्षा, यज्ञोपवित, विवाह, वेदव्रत, अकिपन्न, मंदिर प्रतिष्ठा, मुण्डन, तीर्थ यात्रा, संन्यास ग्रहण, अग्निपरिग्रह, अभिषेक जैसे शुभ कार्य इस माह में वर्जित माने गए हैं। अगर आप इनमें से किसी कार्य को करने की योजना बना रहे हैं तो अभी स्थगित कर दें।

मलमास : इस महीने भूलकर भी न करें यह काम, वरना हो जाएगा बहुत बुरा

कुल मिलाकर इन सब चीज़ों का भी हमारे जीवन में बहुत महत्व होता है। मूल, नक्षत्र आदि बहुत सारे मामले ऐसे हैं जिन्हें सनातन धर्म की मान्यताओं में बहुत प्रभावी भी माना गया है। वैसे देखा जाए तो हर एक चीज़ और हर एक बात का पूरा-पूरा महत्व होता है लेकिन मानने वाले के लिए सब-कुछ है और ना मानने वाले के लिए कुछ भी नहीं।