नगर निगम में हुए 50 करोड़ के घोटाले के मामले में जांच कमेटी जल्द ही पुराने अधिकारियों को नोटिस देकर जांच में शामिल होने के लिए बुलाया जाएगा। नगर निगम के रिकॉर्ड रूम में आग लगने के बाद जांच कमेटी के अधिकारियों को आरोपी ठेकेदारों के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं मिल पाया है।
अधिकारियों का मानना है कि आगजनी से पहले ही रिकॉर्ड रूम से आरोपी ठेकेदारों से संबंधित वाउचर निकाल दिए गए थे। ऐसे में अब जांच कमेटी साल 2017 से 2019 के बीच नगर निगम में मौजूद रहे अधिकारियों को बुलाकर मौके मामले की तफ्तीश करेगी।
आपको बता दें कि लोगों द्वारा की गई शिकायत पर निगमायुक्त यश गर्ग ने मामले का संज्ञान भी लिया था। शिकायतकर्ताओं ने बताया कि निगम अधिकारियों की मिलीभगत से वर्ष 2017 से 2019 के बीच बिना काम के ठेकेदारों को 50 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया गया।
मामले की जांच के लिए निगमायुक्त ने मुख्य अभियंता ठाकुर लाल शर्मा के नेतृत्व में जांच कमेटी का गठन किया। कमेटी द्वारा जांच शुरू होने के एक माहीने बाद ही 16 अगस्त को नगर निगम के रिकॉर्ड रूम में आग लग गई। पुलिस द्वारा पूरे मामले की जांच की जा रही है।
आपको बता दें कि निगम के रिपोर्ट रूम में लगी आग में कई जरूर दस्तावेज जलकर स्वाह हो गए है। इन्ही दस्तावेजों में निगम घोटाले से जुड़े बड़े सुराग मौजूद थे जो अब नष्ट हो चुके हैं। मामले की तहकीकात की जा रही है और जल्द ही इस पूरी गुत्थी को सुलझाने की बात की जा रही है।
अग्निकांड के बाद जब रेकॉर्ड की जांच शुरू की गई तब उसमें संबंधित ठेकेदारों के वाउचर नही मिल पाए। ऐसे में अब जांच कमेटी ने उस दौरान यहां मौजूद मुख्य अभियंता, अधीक्षण अभियंता सहित अन्य अधिकारियों को नोटिस देकर बुलाने का निर्णय लिया गया है। जांच वार्ड नंबर 9 से शुरू की जाएगी।