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राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को लेकर किया गया संविमर्श का आयोजन, अध्यापकों ने दी अपनी प्रतिक्रिया

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आज राजकीय मॉडल संस्कृति वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय सेक्टर 55 में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को लेकर एक संविमर्श का आयोजन किया गया, जिसमें विद्यालय प्रबंध समिति के सदस्यों, अध्यापकों, विद्यार्थियों, अभिभावकों व समाज के गणमान्य नागरिकों ने सहभाग किया। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के विभिन्न उपविषयों पर चर्चा हुई, जिसमें विभिन्न प्रवक्ताओं ने अपने विचार प्रस्तुत किए।

इस संविमर्श के केंद्र में नवाचार, विद्यार्थी केंद्रित परन्तु क्रियान्वयन में अध्यापक को केंद्र बिंदु मानकर चलने वाली नई शिक्षा नीति के प्रावधानों को प्रस्तुत किया गया। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति की उन विशेषताओं को उजागर किया जो अभी तक हमारी शिक्षा नीतियों में नहीं थी।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को लेकर किया गया संविमर्श का आयोजन, अध्यापकों ने दी अपनी प्रतिक्रिया

विद्यालय के प्रधानाचार्य सतेन्द्र सौरोत ने अपने विचार प्रस्तुत करते हुए कहा की नई शिक्षा नीति सभी पुरानी शिक्षा नीतियों से इसलिए अलग है क्योंकि नई शिक्षा नीति कई सारे विषय बिन्दुओं को साथ में लेकर चलती है जैसे कि ड्रॉपआउट को कम करने का विचार हो या 3 वर्ष से ही विद्यार्थियों को पढ़ने योग्य मानना हो, विषयों का चयन,विभिन्न प्रवेश व निकासी, अलग अलग स्तर पर प्रमाण पत्र,डिप्लोमा व डिग्री के प्रावधान, पूरे देश में शिक्षा का एक जैसा ढांचा आदि।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को लेकर किया गया संविमर्श का आयोजन, अध्यापकों ने दी अपनी प्रतिक्रिया

इसके अतिरिक्त समीक्षात्मक व आलोचनात्मक विश्लेषण को बढ़ावा देने के विचार को यह शिक्षा नीति बढ़ावा देने का काम करती है। अभी तक यह होता आया था कि जो विद्यार्थि किसी कारणवश बीच में शिक्षा छोड़ देने को मजबूर हो जाता था तो उसकी एक या दो वर्षों की मेहनत बेकार हो जाती थी। लेकिन हमारी नई शिक्षा नीति इन सभी कमियों को दूर करती है।

जैसे कि अगर कोई विद्यार्थी प्रथम वर्ष करने के बाद विद्यालय या कॉलेज को छोड़ देता है तो उसका वह वर्ष बेकार नहीं जाएगा, उसको प्रथम वर्ष में सर्टिफिकेट व द्वितीय वर्ष के बाद कॉलेज छोड़ने पर डिप्लोमा का अधिकारी होगा।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को लेकर किया गया संविमर्श का आयोजन, अध्यापकों ने दी अपनी प्रतिक्रिया

कुछ वर्षों बाद उसकी आर्थिक, पारिवारिक स्थिति ठीक हो जाती है तो वह अपने जीवन में कभी भी आगे की शिक्षा पूरी करने का अधिकारी होगा। इसी प्रकार बच्चे के माता पिता के किसी दूसरी जगह स्थानांतरण होने पर कोई भी विद्यार्थी अपने विश्व विद्यालय या विद्यालय या बोर्ड़ को बदल सकेगा। बोर्ड या विश्वविद्यालय बदलने से उसकी पहले किसी अन्य बोर्ड़ या विश्वविद्यालय से कि गई प्रथम वर्ष की पढ़ाई पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को लेकर किया गया संविमर्श का आयोजन, अध्यापकों ने दी अपनी प्रतिक्रिया

नई शिक्षा नीति विद्यार्थी को विभिन्न स्ट्रीम में रहकर विभिन्न विषयों को चुनने का अधिकार भी देती है उदाहरण के लिय जैसे कि कोई विद्यार्थी हिस्ट्री और केमिस्ट्री या कॉमर्स के साथ राजनीति विज्ञान, गणित के साथ संगीत पढ़ना चाहता है तो वह पढ़ पाएगा। क्योंकि अब विषयों का चयन विज्ञान, कला या वाणिज्य संकाय के आधार पर नहीं, अपितु विद्यार्थी के पसंद के आधार पर होगा।इन सभी बिंदुओं पर विभिन्न अध्यापकों ने अपने बहुत सुंदर विचार दिए। इस अवसर पर अगले 3 वर्ष के लिए विद्यालय प्रगति योजना पर भी चर्चा की गई।

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संविमार्श में विद्यालय प्रबंधन समिति के सदस्य सर्वश्री सतबीर भारद्वाज, गुरदीप सिंह, गुरमीत सिंह, पुनीता देवी, अंजू आदि के अतिरिक्त प्राध्यापक देशराज सिंह, सिकंदर सिंह, बृजेश कुमार, दीपक वशिष्ठ, वसीम अहमद, सुषमा यादव, पंकज चावला, निधि यादव, आदि ने बाल देखभाल एवं शिक्षा, मातृ भाषा में प्राथमिक शिक्षा, आधारभूत साक्षरता एवम् गणितीय ज्ञान, विषय चयन में कोई कठिन अलगाव नहीं, खिलौनों के माध्यम से शिक्षा विषयों को पॉवर प्वाइंट के माध्यम से प्रस्तुत किया। अध्यापक मनोज कुमार व सीमा कटारिया कार्यक्रम के संयोजक व संचालक रहे।

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