हरियाणा साहित्य अकादमी की पहल पर भगत सिंह की जयंती के अवसर पर ‘मीडिया और साहित्य का अंतर्सम्बन्ध’ विषय पर वेबिनार का आयोजन किया गया। केशुभाऊ ठाकरे जनसंचार केंद्रीय विश्वविद्यालय रायपुर के कुलपति प्रो. बलदेव भाई शर्मा ने मुख्य अतिथि के रूप में उदघाटन करते हुए कहा कि साहित्य मीडिया को भाषा की मर्यादा और संस्कार बताता है।
उन्होंने कहा कि साहित्य पत्रकार को संस्कृतिधर्मिता से जोड़ता है। भगत सिंह की जयंती का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि 1947 के पहले की पत्रकार बिरादरी ने जन जागरण का कार्य किया। उन्होंने कहा कि गणेश शंकर विद्यार्थी, प्रेमचंद, जयशंकर, भारतेन्दु हरीशचंद्र के साथ-साथ बड़े-बड़े राजनेताओं ने भी जनजागरण के लिए समाचार पत्रों का प्रकाशन किया।
उन्होंने कहा कि भाषा की मर्यादा संस्कृति की मर्यादा होती है। साहित्य अकादमी के निदेशक डॉ. चन्द्र त्रिखा ने मुख्यतिथि का स्वागत व कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कहा कि हरियाणा की विरासत बाल मुकुंद गुप्त और अल्ताफ हुसैन हाली की विरासत है, जिसे फिर से पढक़र नई पीढ़ी को पत्रकारिता के क्षेत्र में नई ईबारत लिखनी होगी। उन्होंने कहा कि अकादमी नई पीढ़ी को साहित्य का संस्कार देने के लिए नये-नये प्रयोग करती रहेगी।
पंजाब विश्व विद्यालय, चंडीगढ़ के हिन्दी विभाग के अध्यक्ष डॉ. गुरमीत सिंह ने कहा कि जनसंचार विभाग के पाठ्यक्रमों में साहित्य को अध्ययन का विषय बनाना होगा। उन्होंने भीष्म साहनी की कहानी ‘चीफ की दावत’ का जिक्र करते हुए कहा कि कहानी किस्सागो की परम्परा से रूबरू कराती है। ऐसे में जनसंचार के विद्यार्थी साहित्यिक सरोकारों से सम्पन्न होकर पत्रकारिता के क्षेत्र में सकारात्मक हिस्सेदारी निभाएंगे।
वेबिनार में राजकीय महाविद्यालय, सेक्टर-1, पंचकूला की प्राचार्य डॉ. अर्चना मिश्रा और जनसम्पर्क अधिकारी श्री राजीव रंजन ने भी अपने विचार रखे।करनाल के डी.ए.वी.पी.जी. कालेज के प्रचार्य डॉ. आर. पी. सैनी, अरूण कुमार, कुरूक्षेत्र से प्राचार्य डॉ. रेणु, करनाल से प्रचार्य सुमिता अरोड़ा, पंजाब विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के शोधार्थी एवं जनसंचार विभाग, पंचकूला के विद्यार्थियों ने भी चर्चा में भाग लिया।