नगर निगम पिछले काफी समय से सवालों के कठघरे में घिरा हुआ है। साफ़ सफाई, सामाजिक दूरी और महामारी के दौर में बरते जाने वाले तमाम एहतियात खाक छान रहे हैं। जहां पूरे शहर में कूड़े का अम्बार लगा हुआ नगर निगम उसकी अनदेखी कर आराम फरमा रहा है।
कर्मचारियों की हड़ताल के चलते साफ़ सफाई ठप हो गई है। बृहस्पतिवार को पूरे दिन शहर में किसी भी तरह से साफ़ सफाई नहीं की गई। एक अनुबंध के चलते कर्मचारयों ने निगम दफ्तर में पूरा दिन काम नहीं किया।
जो अभिभावक निगम कार्यालय में प्रॉपर्टी टैक्स जमा करवाने आते हैं उन्हें दर दर भटकना पड़ता है। पूरे दिन निगम दफ्तर के चक्कर लगाने के बाद भी जनसम्याओं का समाधान नहीं मिल पाता है। साथ ही साथ निगम कार्यालय में जन्म एवं मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने आए लोगों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
पिछले काफी दिनों से नगर निगम सुर्ख़ियों में छाया हुआ है। निगम में सामजिक दूरी की धज्जियाँ उड़ने की खबरें भी सामने आ चुकी हैं। निगम अधिकारियों एवं निगमायुक्त द्वारा अभी तक कोई वार्ता नहीं की गई है। जनता की परेशानियों का ब्यौरा नहीं लिया जा रहा है। प्रशासन के कार्यभार पर तमाम सवाल दागे जा रहे हैं।
सूत्रों की माने तो निगम काफी समय से घाटे में चल रहा है। ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि निगम में 26 गाँवों के समाहित किए जाने के फैसले में आपसी स्वार्थ छिपा है। बताया जा रहा है कि अपने द्वारा किए गए नुक्सान की भरपाई करने के लिए निगम गाँव की संपत्ति को हड़पना चाह रहा है।
आम आवाम द्वारा निगम पर दागे गए सवालों की अभी तक कोई जवाबदेही नहीं हो पाई है। निगम प्रशासन द्वारा कई मामलों में अनदेखी की जा रही है। जनता परेशान है और उनकी परेशानियों को संज्ञान में लाना मेहत्त्वपूर्ण है।