महामारी कोरोना लगातार अपना विकराल रूप धारण कर रही है। शिक्षा हो या अर्थव्यवस्था सभी में लगातार नुक्सान हो रहा है। इस महामारी का असर बच्चों की पढ़ाई पर भी पड़ा है। अब स्कूल में क्लासरूम की बजाय घर पर कंप्यूटर या लैपटॉप पर बच्चों को शिक्षा दी जा रही है। इस वजह से बच्चों के साथ-साथ शिक्षकों और माता-पिता की आंखों पर कंप्यूटर स्क्रीन की लाइट का बुरा असर पड़ रहा है।
ऐसा कोई रोग नहीं जिसकी कोई दवा नहीं वाली बात पर कोरोना हावी हो रहा है। ऑनलाइल क्लास की वजह से बच्चों का स्क्रीन टाइम काफी बढ़ गया है जिसकी वजह से कई पैरेंट्स की नींदें उड़ गई हैं। हालांकि, कुछ सावधानियां बरत कर आप अपने बच्चे की आंखों को प्रोटेक्ट कर सकते हैं।
लगातार घंटों तक मोबाइल, लैपटॉप के आगे बैठे रहने से सिरदर्द की शिकायत भी बढ़ गई हैं। यह सब कुछ ऑनलाइन कक्षाओं की देन है जिसमें बच्चे तीन से चार घंटे तक मोबाइल या लैपटाप की स्क्रीन पर नजरें गड़ाए रहते हैं। जिससे उनकी आंखों का पानी सूखने लगा है। नतीजन किसी को पास का धुंधला दिखाई देने लगा तो किसी बच्चे की आंखें सूजने लगीं हैं।
डॉक्टर्स की मानें तो बच्चों को दिनभर में 20 से 40 मिनट से ज्यादा देर तक कंप्यूटर, लैपटॉप या मोबाइल की स्क्रीन नहीं देखनी चाहिए। एक बार में 20 मिनट से ज्यादा समय तक स्क्रीन न देखें। 3 से 5 साल के बच्चों को 3 बार में 20-20 मिनट कर के ऑनलाइन क्लास लेनी चाहिए।
आँखों का रोग सबसे खतरनाक माना जाता है, इस से बचने के लिए तीन से पांच साल के बच्चों को 3 बार में 20-20 मिनट करके ऑनलाइन क्लास लेनी चाहिए। वहीं पांच से 15 साल के बच्चे दिन में एक घंटा स्क्रीन पर बिता सकते हैं। कमरे में अच्छी हो और स्क्रीन की ब्राइटनेस को मध्यम रखें। स्क्रीन की कम रोशनी से रेटिना के खराब होने का खतरा रहता है। आंखों पर दबाव कम करने के लिए बच्चों को बीच-बीच में पलकें झपकाना सिखाएं।