जब जन्म हुआ है तो मृत्यु निश्चित है ये कड़वा सच है। हमे एक दिन मरना है फिर भी हम जिंदगी ढूँढते है देखिये कहने को तो जिंदगी में बहुत सारी समस्याएं होती है। जिंदगी एक ऐसी स्थिति पैदा करकर लेकर आती है कि लोगों को कभी खुशी तो कभी गम मिलता है लेकिन एक अटल सच जो है वो है मौत।
मौत से फिर भी हम भागते और डरते है और इसी डर की एक कहानी हम आपको बताने जा रहे है। आपको बता दे एक मर्द अपनी मौत की डर से 30 साल से औरत बनकर घूम रहा है। वजह जो है वो हम आपको बताएंगे लेकिन उससे पहले ये बताते चले कि जमीन पर जिसका आना तय है उसका जमीन से जाना भी तय है।
स्थितियां परिस्थितियां कुछ भी क्यों न हो जाएं लेकिन एक दिन हम सभी को जाना है क्योंकि हम सभी नश्वर होते है। हम सभी को एक दिन नष्ट होना होता है। जितना वक़्त हमारे पास है उस वक़्त को हमे कैसे बिताना है वो हम सभी पर निर्भर करता है। घटना है उत्तर प्रदेश के जौनपुर में जलालपुर थाना क्षेत्र के हौज खास निवासी चिंता हरण चौहान की।
नाम तो इनका चिंता हरण है, लेकिन इन्हें मौत का डर ऐसा सता रहा है कि वो पिछले 30 साल से औरत बने घूम रहे हैं और सोलह श्रृंगार किए हुए। दरअसल, 66 की चिंता हरण के मुताबिक, प्रेत आत्मा के चक्कर में उनके परिवार के 14 लोगों की मौत हो गई थी। यह पीड़ा उन्हें सताती रहती है।
चिंता हरण जब 14 साल के थे, तभी उनके घर वालों ने उनकी शादी कर दी, लेकिन शादी के कुछ दिन बाद ही उनकी पत्नी की मौत हो गई। इसके बाद कुछ सालों तक वो ऐसे ही रहे और 21 साल की उम्र में भट्ठे पर काम करने के लिए पश्चिम बंगाल के दिनाजपुर चले गए। वहां पर स्थित एक स्थानीय बंगाली की राशन की दुकान थी।
चिंता हरण उसी राशन की दुकान से मजदूरों के लिए सामान खरीदने लगे। धीरे-धीरे दुकानदार से घनिष्ठता बढ़ती चली गई। इसके बाद दुकानदार ने चिंता हरण से अपनी बेटी की शादी का प्रस्ताव रखा और चिंता हरण ने बिना कुछ सोचे समझे बंगाली लड़की से विवाह कर लिया। अब जब चिंता हरण की शादी की जानकारी जब उनके परिवार को हुई तो उन्होंने इसका विरोध किया, जिसके बाद चिंता हरण बिना बताए उस बंगाली लड़की को छोड़ कर गांव लौट गए।
इधर बंगाली लड़की ने इसे धोखा समझ कर चिंता हरण के वियोग में आत्महत्या कर ली। लगभग एक साल के बाद चिंता हरण जब फिर कोलकाता वापस गए तो उनको पता चला कि उनकी बंगाली पत्नी ने उनके वियोग में खुदकुशी कर ली। इसके बाद चिंता हरण फिर घर वापस लौट गए। इधर, उनके परिवार वालों ने उनकी तीसरी शादी कर दी, लेकिन शादी के कुछ दिन बाद ही चिंता हरण बीमार पड़ गए।
इसके साथ ही उनके घर के सदस्यों के मरने का सिलसिला शुरू हो गया। चिंता हरण ने बताया कि उनकी मृतक बंगाली पत्नी हमेशा उनके सपने में आती थी और वह चिंता हरण के धोखे पर खूब रोती थी। अब चूंकि परिवार के सदस्यों की मौत से चिंता हरण टूट चुके थे, इसलिए एक दिन सपने में उन्होंने मृतक बंगाली पत्नी से उन्हें और उनके परिवार के अन्य सदस्यों को बख्श देने की गुहार लगाई।
फिर उसकी पत्नी ने कहा कि मुझे सोलह सिंगार के रूप में अपने साथ रखो, तब सबको बख्श दूंगी। बस इसी डर से पिछले 30 सालों से चिंता हरण सोलह श्रृंगार करके एक महिला के वेश में जी रहे हैं। उन्होंने बताया कि उस घटना के बाद से वह शारीरिक रूप से स्वस्थ हो गए और उनके घर में मरने का सिलसिला भी बंद हो गया।