सात महीने बीत जाने के बाद भी नगर निगम में सदन बैठक की तरीक निश्चित नहीं हो पाई है। सदन की पूर्व बैठक 2 मार्च को हुई थी। सीवर, पानी, सड़कों तथा अन्य विकास कार्यों से जुड़ी फाइलों का काम अभी तक शुरू नहीं हो पाया है।
विकास कार्यों निशाना में लगने वाले रुपयों की लागत करोड़ों में है जिनका काम शुरू नहीं हो पाया है। निगम पार्षदों में बैठक न होने के कारण रोष है। उनका कहना है कि कई मुद्दों पर चर्चा करना अतिआवश्यक है। निगम की लापरवाही से शहर का विकास कार्य रुक गया है और जनता को परेशानियों का सामना करना पद रहा है।
आपको बता दें कि शहर का नगर निगम गड़बड़झाले में फंसा हुआ है, निगम पूर्ण रूप से कर्जे में डूबा हुआ है। बड़ी बात यह है कि निगम ने जिस तरीके से करोड़ों रुपयों के काम का ब्योरा सरकारी दस्तावेजों में दिया हुआ है उस तरीके से काम नहीं हो पाया है। निगम की कारस्तानी से शहर के पार्षद रुष्ट हुए नज़र आ रहे हैं और अब वह निगम को इन मुद्दों पर घेरने के लिए पूर्ण रूप से तैयार हैं।
आपको बता दें कि इससे पूर्व पार्षद दीपक चौधरी, महेंद्र सिंह और सुरेंद्र अग्रवाल ने ने लेखा शाखा से वर्ष 2017 से 2019 तक किए गए विकास कार्यों का ब्योरा माँगा था। जो जानकारी उपलब्ध कराई गई थी उसमे पाया गया था कि 30 करोड़ की लागत वाले विकास कार्यों के काम को 80 करोड़ रुपयों में करवाया गया है।
आपको बता दें कि फरीदाबाद नगर निगम पिछले काफी समय से सुर्ख़ियों में रहा है। नगर निगम पर जनता के साथ साथ विपक्षी दल भी निशाना साध रहे हैं। लोग नगर निगम के द्वारा किए जा रहे काम से नाखुश नजर आ रहे हैं। नगर निगम द्वारा अभी तक इस मामले में कोई जवाबदेही नहीं दी है।