महाराष्ट्र: ख़तरे में हैं सरकार, मुश्किल में उद्धव ठाकरे की कुर्सी

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 महाराष्ट्र: ख़तरे में हैं सरकार, मुश्किल में उद्धव ठाकरे की कुर्सी

उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र के सीएम हैं। हालांकि, वह विधानमंडल के सदस्य नहीं हैं। उद्धव ठाकरे का विधानमंडल का सदस्य ना होना ही उनकी सरकार के खतरा बन गया है। 28 मई तक अगर उद्धव ठाकरे विधानमंडल के सदस्य नहीं बनते हैं तो उन्हें सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ेगा। उद्धव ठाकरे को विधान परिषद का सदस्य मनोनीत करने के लिए राज्य की कैबिनेट ने राज्यपाल से अपील की। अब सबकुछ राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के हाथ में है। यहां भगत सिंह कोश्यारी पॉकेट वीटो (जेबी वीटो) का इस्तेमाल करते दिख रहे हैं। इस वीटो के तहत गवर्नर प्रस्ताव को अपने पास लंबित रखते हैं और उसपर कोई जवाब नहीं देते हैं।

महाराष्ट्र: ख़तरे में हैं सरकार, मुश्किल में उद्धव ठाकरे की कुर्सी

राज्यपाल को दो बार पत्र भेेजा गया
राज्य मंत्रिमंडल ने 9 के बाद 28 अप्रैल को राज्यपाल को उद्धव को मनोनीत किए जाने के संबंध में स्मरण पत्र भेजा था। गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी की तरफ से इसका जवाब नहीं आया है। ठाकरे 28 नवंबर को सीएम बने थे।  

महाराष्ट्र: ख़तरे में हैं सरकार, मुश्किल में उद्धव ठाकरे की कुर्सी

कोरोना संकट के बीच मुश्किल
महाराष्ट्र कैबिनेट ने सोमवार को भेजे प्रस्ताव में कहा था कि उद्धव राज्य में कोरोना संकट का सामना कर रहे हैं। यह बढ़ता जा रहा है। इन हालात में राजनीतिक अस्थिरता नहीं आनी चाहिए। इसलिए, विधान परिषद की एक खाली सीट पर उद्धव को मनोनीत करने की सिफारिश की जाती है। 

28 मई से पहले विधानपरिषद या विधानसभा की सदस्य बनना जरूरी
उद्धव फिलहाल, विधानमंडल के किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं। 28 नवंबर 2019 को शपथ ग्रहण के दौरान ही राज्यपाल कोश्यारी ने उन्हें छह महीने के अंदर विधानमंडल के किसी भी सदन का सदस्य बनने के लिए कहा था। आगामी 27 मई को बतौर मुख्यमंत्री छह महीने पूरे हो जाएंगे। उन्हें 28 मई तक दोनों में से किसी एक सदन का सदस्य बनना जरूरी है। अगर ऐसा नहीं होता तो संवैधानिक तौर पर वो सीएम नहीं माने जाएंगे। इस्तीफा देना होगा। 

महाराष्ट्र: ख़तरे में हैं सरकार, मुश्किल में उद्धव ठाकरे की कुर्सी
Image Credit : India.com

वो नेता जो सदन के सदस्य नहीं थे पर मुख्यमंत्री बने

  • जून 1980 में मुख्यमंत्री बनने वाले अंतुले राज्य में ऐसे पहले नेता थे। बाद में विधान परिषद सदस्य बने। 
  • वसंतदादा पाटिल एक सांसद के तौर पर इस्तीफा देने के बाद फरवरी 1983 में मुख्यमंत्री बने थे। बाद में विधान परिषद सदस्य बने। 
  • निलांगेकर पाटिल जून 1985 में मुख्यमंत्री बने थे। उस वक्त पाटिल किसी सदन के सदस्य नहीं थे। बाद में विधानसभा चुनाव जीतकर विधायक बने। 
  • शंकरराव चव्हाण मार्च 1986 जब मुख्यमंत्री बने। उस वक्त वो केंद्रीय मंत्री थे। बाद में विधान परिषद सदस्य बने। 
  • नरसिंह राव सरकार में पवार तब रक्षा मंत्री थे लेकिन मुंबई में दंगे के बाद सुधाकरराव नाइक के इस पद से हटने के बाद मार्च 1993 में पवार मुख्यमंत्री बने थे। बाद में विधानसभा चुनाव जीतकर विधायक बने। 
  • 2003 में जब सुशील कुमार शिंदे राज्य के मुख्यमंत्री बने तब वो किसी सदन के सदस्य नहीं थे। बाद में वो विधानसभा चुनाव जीतकर विधायक बने। 
  • 2010 में पृथ्वीराज चव्हाण ने मनमोहन सिंह सरकार में कैबिनेट मंत्री का पद छोड़कर सीएम पद की शपथ ली थी। बाद में विधान परिषद सदस्य बने।

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