कोरोना वायरस महामारी के चलते भारत में देशव्यापी लॉक डाउन का दूसरा चरण भी लगभग समाप्त होने को है और अभी भी देशभर से अपने घरों से दूर अन्य राज्यों में फंसे प्रवासी मजदूर, पर्यटक, छात्र एवं तीर्थ यात्री अपने घर पहुंचने के लिए पैदल, साइकिल एवं रिक्शा के जरिए पलायन करने को मजबूर है।
लेकिन कोरोना के निरंतर बढ़ते हुए मामलों को देखते हुए सभी राज्य सरकारें अंतर राज्य एवं अंतर जिला बॉर्डर पर शक्ति से जांच पड़ताल कर केवल आवश्यक वाहनों को ही आवाजाही की अनुमति दे रही है।
इसी के चलते आज फरीदाबाद से एक मामला सामने आया जिसमें एक गरीब मजदूर साइकिल से फरीदाबाद से निकलकर बिहार अपने गांव पहुंचना चाहता था। गरीब मजदूर का कहना था कि उसके भाई की मृत्यु हो गई है इसलिए उसे बिहार जाना है उसे पता है कि उसे साइकिल से बिहार जाने में 10 से 15 दिन लग जाएंगे लेकिन फिर भी उसे अब किसी भी कीमत पर यहां नहीं रुकना है। इसलिए वह साइकिल लेकर बिहार के लिए निकला है।
जैसे ही मजदूर फरीदाबाद दिल्ली बॉर्डर पर पहुंचा तो पुलिस द्वारा उसे रोक लिया गया और पूछताछ की गई तो मजदूर ने अपने पलायन का कारण बताया और अपने भाई की मृत्यु का डेथ सर्टिफिकेट दिखाते हुए पुलिस से आग्रह किया कि उसे जाने दे। जिसके बाद पुलिस में अपनी जांच पड़ताल पूरी कर मजदूर को आगे जाने की अनुमति दे दी।
लेकिन उसके बाद भी कुछ और मजदूर आए जो साइकिल से बिहार जाना चाहते थे लेकिन उनके पास कोई पुख्ता दस्तावेज ना होने के कारण उन्हें आगे नहीं जाने दिया गया और बॉर्डर से वापस भेज दिया गया।
पलायन के इस प्रकार के मामलों पर डीसीपी आदर्शदीप का कहना है कि पलायन कर रहे अधिकतर लोगों के पास आवश्यक कारण है उनके पलायन करने का लेकिन दस्तावेजों के अभाव में एवं महामारी की गंभीरता को देखते हुए उनका कर्तव्य बनता है कि वे जनता की सुरक्षा को प्राथमिकता दें और इसी का ध्यान रखते हुए पुलिस अपना कार्य बखूबी कर रही है ताकि जल्द से जल्द इस महामारी को नियंत्रण में किया जा सके।