ऐसा अक्सर सुनने में आता है कि ‘पुलिस प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) दर्ज नहीं कर रही है।’ ऐसे में कई बार पीड़ित व्यक्ति को थाने के चक्कर लगाने पड़ते हैं तो कई बार हार मान कर एफआईआर न दर्ज कराने का फैसला लेना पड़ता है। यह सब इस लिए है कि लोगों को एफआईआर दर्ज कराने को लेकर अपने अधिकारों के में पता ही नहीं है।कभी कभार इंसान एफआईआर दर्ज कराने से भी डरते है।कोई पुलिस से डर जाता है तो कोई जिनके खिलाफ एफआईआर की जा रही है उनकी धमकियों से ।
अगर आप एफआईआर करने आते है तो वह जान ले कि कानून के तहत पुलिस एफआईआर दर्ज करने से इनकार नहीं कर सकती। सीआरपीसी की धारा 154 में इसका उल्लेख भी है। भारत में अपराधों को दो श्रेणियां में बांटा गया है। पहला संज्ञेय अपराध (Cognizable offence) और दूसरा असंज्ञेय अपराध (Non cognizable offence).
पुलिस उपायुक्त, क्राइम-श्री मुकेश कुमार, पुलिस उपायुक्त, मुख्यालय-श्री अर्पित जैन, सहायक पुलिस उपायुक्त, क्राइम-श्री अनिल कुमार तथा सभी क्राइम ब्रांच प्रभारियों की संगोष्ठी के दौरान पिछले सप्ताह किए गए कार्यों का ब्यौरा लेते हुए पुलिस आयुक्त श्री ओ पी सिंह द्वारा कहा गया कि क्राइम ब्रांच सैक्टर 48 में पकड़े गए चोर से पूछताछ के दौरान एक ऐसी चोरी का खुलासा हुआ जिसकी कोई एफआईआर दर्ज नहीं थी।
चोरी एक बुढ़िया के घर में की गई थी। पुलिस द्वारा उस वृद्धा से शिकायत लेकर एफआईआर दर्ज की गई और रिकवर किया गया चोरी का माल उसके हवाले किया गया।
अतः ऐसे कार्यों में बिना डर या हिचकिचाहट के शिकायत कर अभियोग अंकित करवाएँ। इस कमिश्नरेट की पुलिस फरीदाबाद की जनता की सेवा, सुरक्षा और सहयोग के लिए वचनबद्ध और तत्पर है
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