हरियाणा की 2014 बैच की आई ए एस रानी नागर का मामला काफी समय से राजनीति के गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ हैं चंडीगढ़ में लॉक डाउन खत्म होन पर रानी नागर ने इस्तीफा दे दिया है। मूल रूप से उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद की रहने वाली रानी नागर ने लॉकडाउन के दौरान ही ऐलान कर दिया था कि वे इस्तीफा दे देंगी। तब फरीदाबाद की तिगांव विधानसभा के पूर्व विधायक ललित नागर समर्थन में आगे आये थे और सरकार से इस मामले में जांच की मांग की थी ।
आईएसएस रानी नागर के इस्तीफे के बाद जब कांग्रेसी नेता ललित नागर से बात की तो उन्होंने कहा कि इस्तीफा देना समस्या का समाधान नहीं हैं ।ललित नागर ने मौजूदा सरकार पर सवालियां निशान उठाते हुए कहा कि समय रहते सरकार ने मामले को उचित कार्यवाही नही की हैं यदि सरकार अपना दायित्व समय से निभा कर मामले मे जाँच की होती तो आज एक आईएएस अधिकारी को इस्तीफ़ा देने पर मजबूर नही होना पड़ता रानी नागर का इस्तीफा कही ना कहीं सरकार की नाकामी को दर्शाता हैं ।
कुछ समय पहले इस मामले में उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने रानी नागर के इस्तीफे की घोषणा को गंभीरता से लेते हुए एक के बाद एक दो ट्वीट किए थे।
रानी नागर ने आरोप लगाया था कि उच्च अधिकारी उनका उत्पीड़न कर रहे हैं और उनकी व बहन की जान को खतरा है। मायावती ने हरियाणा सरकार से इस मामले में संज्ञान लेने तथा आरोपी अधिकारियों के खिलाफ एक्शन लेने की मांग की थी। मायावती के एक के बाद एक ट्वीट के बाद हरियाणा सरकार हरकत में आ गई है।
रानी ने ट्विटर पर लिखा, ‘मैं रानी नागर पुत्री श्री रतन सिंह नागर निवासी गाजियाबाद गांव बादलपुर तहसील दादरी जिला गौतमबुद्धनगर, आप सभी को सूचित करना चाहती हूं कि मैंने आज दिनांक 04 मई 2020 को आईएएस के पद से इस्तीफ़ा दे दिया है।
रानी नागर लंबे समय से सोशल मीडिया के जरिए अपनी जान को खतरा बता रही थीं। इसके बाद उन्हों आखिरकार आज यानी चार मई 2020 से को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उत्तर प्रदेश की रहने वाली आईएएस अधिकारी नागर अपनी सुरक्षा को लेकर लगातार चिंतित थी। उन्होंने चीफ सेक्रेटरी को लिखे पत्र में कहा है कि मैं और मेरी बहन रीमा नागर सरकार से अनुमति लेकर चंडीगढ़ से अपने पैतृक गाजियाबाद वापस जा रहे हैं।