नगर निगम और सरकार ने फरीदाबाद को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए अनेकों दावे किए हैं पर फरीदाबाद की बेहाल स्थिति निगम के ढोल की पोल खोल रही है। दिल्ली एनसीआर का हिस्सा फरीदाबाद को स्मार्ट सिटी का दर्जा भले ही आधिकारिक रूप से मिल गया हो लेकिन फरीदाबाद में आज भी अनेकों समस्याएं हैं जो शहर को स्मार्ट सिटी बनने नहीं दे रही।
दरअसल, म्युनिसिपल कारपोरेशन ने सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स के निर्माण के लिए टेंडर रिलीज़ किये थे। 3 ट्रीटमेंट प्लांट्स कीमत लगभग 242 करोड़ रुपये लगाई गयी थी जिनकी एक दिन की कैपेसिटी 240 मिलियन लीटर की थी। बता दें कि बादशाहपुर, प्रतापगढ़ और मिर्ज़ापुर में पहले ही सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स लगाए गए थे जो करीब पिछले एक साल से ठप पड़े हैं। हालाँकि इन प्लांट की एक दिन की कैपेसिटी 115 मिलियन लीटर की है पर इन इलाकों का कोई भी प्लांट सुचारु रूप से काम नहीं कर रहा है।
अधिकारियों का कहना है कि इन सभी प्लांट्स को जवाहर लाल नेहरू नेशनल अर्बन रिन्यूअल मिशन के तहत 2009-10 में प्राइवेट कंपनी के द्वारा अपग्रेड करवाया गया था। बता दें कि बादशाहपुर का सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स का कॉन्ट्रेक्क्ट 2020 तक एक्सटेंड करवाया गया था पर उसके बावजूद भी कुछ काम नहीं कर रहा।
सामाजिक कार्यकर्ता विष्णु गोयल का कहना है कि प्राइवेट कंपनियों को करोड़ों का ठेका देने का नतीजा यही निकला कि सरकार का सारा पैसा पानी हो गया और सीवेज प्लांट अभी भी बेहाल हालत में पड़े हैं। विष्णु गोयल ने बताया कि अधिकारियों का दरवाजा खटकाया गया पर कोई लाभ नहीं हुआ। वहीं दूसरी ओर म्युनिसिपल कारपोरेशन के इंजीनियर ठाकुर लाल शर्मा का कहना है कि निगम जल्द ही आधुनिक तकनीक वाले नए प्लांट बनाने का विचार कर रही है जिससे कचरे का ट्रीटमेंट सही तरीके से हो सके।