प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने बेधड़क अंदाज़ और निडर फैसलों के लिए देश-विदेश में मशहूर हैं। अपने 6 साल के कार्यकाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अनेकों ऐसे निर्णय लिए हैं जिनसे भारत विदेशों तक चर्चा का विषय बना। चाहे वो फैसला ट्रिपल तलाक़ का हो, कश्मीर में धरा 370 हटाने का या फिर नोटबंदी।
4 साल पहले आज ही के दिन पीएम मोदी ने यह ऐतिहासिक फैसला लिया जिसमे उन्होंने देश के नाम अपने सम्बोधन में ऐलान किया कि 500 और 1000 के सभी नोट बैन कर दिए गए।
8 नवम्बर, 2016 को 8:15 बजे 500 और 1000 के नोटों की नोटबंदी की घोषणा की गई जिसने सभी देशवासियों को अविश्वास की स्थिति में ला खड़ा कर दिया। लोगों को आशा थी कि प्रधानमंत्री जी भारत और पाकिस्तान के बीच होने वाली नोक-झोक की बात करेंगे लेकिन नोटबंदी की घोषणा ने तो सभी को हिला कर रख दिया। पहले तो लोगों ने इस घोषणा पर अविश्वास जताया पर फिर पुराने नोट जमा करवाने के लिए बैंकों के सामने लम्बी लाइनों में घंटों खड़े रहे।
जो काला धन भ्रष्टाचारी लोगों ने 500 और 1000 के नोटों के रूप में नकद रखा था इस समय में वे एक कागज मात्र बन कर रह गया है उसकी कोई भी कीमत नहीं रह गई है। नोटबंदी के कारण भ्रष्टाचारियों को अपना छिपाया हुआ काला धन सरकार को समर्पित करना पड़ा, कई लोगों ने इन्हें जला दिया और कईयों ने तो इसे फेंक दिया।
जो नोट जाली थे वे बाजार में किसी भी काम के नहीं रहे थे इसीलिए लोगों को जागरूक करने के साथ प्रोत्साहित भी किया गया था कि जितने भी 500 और 1000 के पुराने नोट उनके पास पड़े हों, उन्हें बैंक में जमा करा दें।
परिणाम स्वरुप सभी देशवासियों ने सरकार द्वारा जारी किये गए इस फैसले का सम्मान करते हुए अपनी जमा पूँजी बैंक में दे दी। पर हकीकत यही है कि आज भी हज़ारों लोगों के पास बंद हो चुके 500 और 1000 के नोट हैं। दरअसल, लीगल टेंडर नहीं होने के कारण नोटबंदी के काफी समय बाद भी दादा-दादी की पोटलियों से निकली 500 और 1000 के नोटों की गड्डियां पोते-पोतियों के किसी काम की नहीं। ऐसे लोगों का कहना है कि सरकार एक मौका और दे तो लोगों कई परिवारों का भला हो सकता है।