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शराब के रेट 70 फ़ीसदी तक बढ़ाने के बाद भी दिल्ली सरकार शराबियों को संभालने में हो रही विफल।

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लॉक डाउन के तीसरे चरण में दिल्ली सरकार द्वारा दी गई छूट में शराब के ठेके खोलने की अनुमति भी दी गई थी। लेकिन ठेके खोलने की अनुमति दिए जाने के पहले ही दिन हजारों की संख्या में लोग शराब खरीदने के लिए लॉक डाउन के नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए शराब के ठेकों के बाहर एकत्रित हुए तो दिल्ली सरकार द्वारा शराब की दरों को 70 फ़ीसदी तक बढ़ा दिया गया ताकि लोगों की भीड़ कम हो सके लेकिन इसके बावजूद भी शराब की दुकानों के बाहर फिर से लगी लंबी लाइनों को देखकर ऐसा लग रहा है कि पीने वालों को इससे कोई फर्क नहीं पड़ा।

दिल्ली में आज से शराब की कीमतें बढ़ाए जाने के बाद भी शराब के ठेकों के बाहर पहले दिन कि भांति सैकड़ों लोगों की कई किलो मीटर लंबी कतार लगी रही। जिसके चलते दिल्ली के चन्द्रनगर इलाके में शराब की दुकान खुलने से पहले ही कई किलोमीटर लंबी लाइन देखने को मिली।

बता दें कि दिल्ली सरकार ने शराब खरीदारी के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग की अनदेखी और राजस्व दोनों को ध्यान में रखते हुए शराब की कीमतें 70 फीसदी तक बढ़ाने का फैसला लिया है। दिल्ली सरकार ने शराब पर लगे टैक्स को स्पेशल कोरोना फीस नाम दिया है। सोमवार को लॉकडाउन में थोड़ी रियायत के दौरान शराब की दुकानों के बाहर लगी भीड़ दिखी थी और सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ी थीं।

दरअसल, सरकार के इस कदम से राजस्व में निश्चित तौर पर इजाफा होगा, जो कि कोरोना वायरस की वजह से देश में लगे लॉकडाउन से काफी प्रभावित हुआ है, लेकिन इससे खुदरा शराब की बोतल की कीमत में अधिक बढ़ोतरी होगी। सोमवार देर रात जारी अधिसूचना में दिल्ली सरकार के वित्त विभाग ने कहा, ‘रिटेल लाइसेंस के अंतर्गत बेचे जाने वाले सभी तरह के शराब के अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) पर 70 प्रतिशत टैक्स लगाया गया है।’ उदाहरण के लिए, अगर किसी शराब के बोतल की (एमआरपी) कीमत अभी तक 1000 रुपए है, तो अब दिल्ली में उसकी नई कीमत 1700 रुपए होगी।

सरकार को उम्मीद है कि शराब के दाम बढ़ाने से दिल्ली में शराब की दुकानों के बाहर लगने वाली लंबी कतारों में कमी आएगी। साथ ही सरकार को कोरोना संकट के दौरान अतिरिक्त राजस्व भी मिलेगा। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल स्पष्ट कह चुके हैं कि दुकान के सामने भीड़ लगी तो दुकान को सील कर दिया जाएगा। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन हर हाल में लोगों को करना होगा। वहीं, अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि अप्रैल महीने में पिछले साल की तुलना में राजस्व में काफी गिरावट हुई है। पिछले साल अप्रैल में जहां 3500 करोड़ राजस्व की वसूली हुई थी, वहीं इस साल अप्रैल में 300 करोड़ ही आए हैं। ऐसे में सरकार चलाना काफी मुश्किल है और हमें अर्थव्यवस्था को खोलना ही होगा।

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