सहायता के बदले में हाथ लगी निराशा के बाद रानी नागर ने हरियाणा सरकार पर लगाए गंभीर आरोप ।

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एक तरफ महिला अफसर के इस्तीफे की खबर ने राजनीति माहौल को गर्म किया हुआ हैं। विपक्षियों के आरोप – प्रत्यारोप से हरियाणा सरकार पर दबाव बनाया जा रहा है कि आईएएस रानी नागर के इस्तीफे को नामंजूर कर दिया जाए।

तो वहीं दूसरी तरफ हरियाणा सरकार से बार बार सहायता की गुहार लगाने पर मिली निराशा के बाद आईएएस रानी नागर का सब्र का बांध टूटता दिखा।

आईएएस अधिकारी रानी नागर सोमवार सुबह करीब 11 बजे चंडीगढ़ से अपने पिता के घर गाजियाबाद के लिए रवाना हुई थी, तो रास्ते में घरौंडा टोल टैक्स के पास गाड़ी अचानक खराब हो गई, जिसको लेकर आईएएस अधिकारी ने अपने विभाग के डायरेक्टर से मदद मांगी। वहां से कोई मदद या जवाब ना आते देख अधिकारी ने फेसबुक के माध्यम से मदद मांगी।

इस पोस्ट को मधुबन एकेडमी में तैनात जवान ने भी देखा, फेसबुक पर पोस्ट देखने के बाद मधुबन कंपलेक्स में तैनात जवान ने रानी नागर की मदद की गाड़ी को मुश्किल से घरौंडा एक मैकेनिक गैरेज तक पहुंचाया और गाड़ी को ठीक करवाया, इसके बाद रानी नागर घर के लिए हुई रवाना।

आईएएस अधिकारी रानी नागर ने हरियाणा सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए बताया कि मैं पिछले 2 साल से इस पद पर तैनात हूं, मुझे यूटी गेस्ट हाउस में सिर्फ एक कमरे के मकान में समय व्यतीत करना पड़ रहा है।

कई बार मांगने पर मुझे मकान नहीं दिया गया। हम दो महिलाएं एक कमरे के मकान में रह रहे हैं। पहले भी मैं 2 साल ऐसे ही यूटी गेस्ट हाउस के एक कमरे के मकान में रही हूं। एक कमरे में दो महिलाएं रहना बड़ा मुश्किल है, जिसको लेकर हमें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था।

नागर ने बताया कि उनकी जान का खतरा भी बना रहता था, लॉकडाउन के दौरान मेरी जान को खतरा बढ़ता जा रहा था। इस स्थिति में मेरे लिए ड्यूटी करना बहुत ही मुश्किल था। जिसको लेकर मैंने आज ही अपने आईएएस पद से त्यागपत्र देना उचित समझा।

कार्यालय में जो गाड़ी मैं इस्तेमाल करती थी उसकी परमिशन के लिए मैंने लिखा था कि मुझे उस गाड़ी से ही मेरे घर पहुंचाने की परमिशन दी जाए। मुझे उस की परमिशन ना देकर दूसरी पुरानी गाड़ी से मेरे को छुड़वाया जा रहा है।

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