हरियाणा के परिवहन मंत्री श्री मूलचंद शर्मा ने कहा कि हड़ताली कर्मचारियों से एस्मा हटाने के बारे में संबंधित डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी को पत्र लिखा जा चुका है। साथ ही, वे एचडीएफसी, आईसीआईसीआई, कॉरपोरेशन और भारतीय स्टेट बैंक में अपना सेलरी अकाउंट खुलवाकर 35 लाख रुपये तक की दुर्घटना बीमा सुविधा का लाभ उठा सकते हैं।
प्राकृतिक मृत्यु के मामले में मृतक कर्मचारी के परिजनों को 10 लाख रुपये की बीमा राशि मिलेगी।परिवहन मंत्री ने यह बात आज यहां हरियाणा रोडवेज से जुड़ी विभिन्न कर्मचारी यूनियनों के पदाधिकारियों की एक बैठक में कही। सौहार्दपूर्ण माहौल में हुई इस बैठक में कर्मचारी नेताओं ने अपनी मांग रखने के साथ-साथ कई रचनात्मक सुझाव भी दिए।
श्री मूलचंद शर्मा ने कहा कि कर्मचारी यूनियनों की मांगों में से ज्यादातर मांगों को पूरा किया जा चुका है और बाकी मांगों पर कार्यवाही की जा रही है। आज के दिन कर्मचारियों की कोई ऐसी मांग नहीं है, जिस पर कोई कार्यवाही न की गई हो। उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया है और ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है जिस पर इसका असर न पड़ा हो। जाहिर सी बात है कि इस महामारी से विभाग की योजनाएं भी प्रभावित हुई हैं, वरना 867 बसें विभाग के बेड़े में शामिल हो गई होती।
परिवहन मंत्री ने कहा कि जहां तक बेड़े में नई बसें शामिल करने की बात है तो इस बारे में हमें इलेक्ट्रिक और सीएनजी बसों पर विचार करना होगा। भविष्य में जब भी नई बसें खरीदी जाएंगी उनका वार्षिक रखरखाव अनुबंध (एएमसी) करवाना सुनिश्चित किया जाएगा या फिर कर्मचारियों के उचित प्रशिक्षण की व्यवस्था की जाएगी।
उन्होंने कहा कि कर्मचारी विभाग की जान हैं और उनके रहते ऐसा कोई काम नहीं किया जाएगा जिससे विभाग या कर्मचारियों के हित प्रभावित होते हों। विभाग में बड़े पैमाने पर पदोन्नतियां की गई हैं और दिसंबर तक लगभग 250 पदोन्नतियां और की जाएंगी।
इसके अलावा, कन्डक्टर के लिए 52 नंबर जबकि स्टाफ के लिए एक नंबर सीट निर्धारित की गई है। एचईआरसी के कर्मचारियों के बारे में परिवहन मंत्री ने कहा कि जब तक उनके पास कोई काम नहीं है, उन्हें रोडवेज डिपो में एडजस्ट किया जाएगा और वहां काम शुरू होने के बाद उन्हें वापस भेज दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि विभाग में यार्ड मास्टर के 82 पद स्वीकृत किए गए हैं। साथ ही, ड्यूटी सेक्शन में भी दो चालकों की ड््यूटी लगाने के निर्देश दिए गए हैं और संबंधित डिपो महाप्रबंधकों को इसकी अनुपालना रिपोर्ट भेजने को कहा गया है।
उन्होंने कहा कि विभाग में ऑनलाइन ट्रांसफर शुरू होने के बावजूद उन्होंने मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल से आग्रह किया कि कर्मचारियों को उसी स्थान पर लगाया जाए जहां से उनको सुविधा हो। इसी के मद्देनजर कर्मचारियों को म्यूचुअल ट्रांसफर की सुविधा दी गई है। उन्होंने कहा कि दूसरे राज्यों में बस दुर्घटनाग्रस्त होने पर चालक की जमानत के बारे में भी कोई न कोई रास्ता निकाला जाएगा। भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस का सख्त संदेश देते हुए परिवहन मंत्री ने कहा कि उनके रहते विभाग में किसी भी स्तर पर और किसी भी सूरत में भ्रष्टïाचार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और पाई-पाई का हिसाब रखा जाएगा। साथ ही, विभाग की टीमें समय-समय पर छापामारी कर अनियमिताओं पर नजर रखेंगी।
उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि बसों की समय सारणी के संबंध में पूरी पारदर्शिता बरती जाए और रोडवेज की बसों को उनका पूरा टाइम दिया जाए। उन्होंने कहा कि नाजिर, ड्यूटी क्लर्क और बिल्डिंग क्लर्क को छ: महीने में बदलने के निर्देश दिए गए हैं ताकि भ्रष्टïाचार की किसी भी गुंजाइश को खत्म किया जा सके। उन्होंने कहा कि विभाग में किसी भी हाल में निजीकरण नहीं होने दिया जाएगा। अगर ऐसा होता तो नई भर्ती नहीं की जाती।
विभाग के प्रधान सचिव श्री शत्रुजीत कपूर ने कहा कि हाल ही में हुई बैठक में आरटीए सचिवों और डिपो महाप्रबंधकों के बीच बेहतर तालमेल स्थापित करने के उपायों पर चर्चा की गई। उन्होंने कहा कि बिना परमिट की बसों के बारे में यदि यूनियन नेताओं के पास कोई जानकारी है तो वे उन्हें बता सकते हैं जिस पर तुरंत कार्रवाई की जाएगी।
इसके अलावा, कुछ ऐसे भी ट्रांसपोर्टर हैं जिन्होंने परमिट कहीं का लिया है तथा बसें कहीं और चला रहे हैं। इनकी जानकारी तुरंत आरटीए सचिव को दी जाए। उन्होंने कहा कि विभाग का काम लोगों को सुविधा प्रदान करना है। इसी बात पर पर फोकस करते हुए कर्मचारियों के सहयोग से वित्तीय स्थिति में सुधार के प्रयास किए जाएंगे। परिवहन विभाग के महानिदेशक श्री वीरेंद्र दहिया ने कहा कि ड्राइवर और कंडक्टर विभाग की रीढ़ हैं। कोविड-19 जैसी महामारी के दौरान हमारे कर्मचारी अयोध्या तक बस लेकर गए लेकिन किसी ने उफ्फ तक नहीं किया। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार के मामलों का पता लगाने के लिए मुख्यालय से अधिकारियों की ड्यूटी लगाई गई है।