एक तरफ जानवरो को बचने की बात की जाती है वहीं दूसरी और फरीदाबाद की नेहरू में जानवरो की लाशे तहर रही है। जहाँ प्रसाशन क्या अन्य किसी का भी कोई ध्यान नहीं जा रहा है। फरीदाबाद की 29 की नहर में विगत कई दिनों से गाय ,सूअर ,नील गाय आदि के शव नजर आ रहे है। और विभाग नहर से जानवरो की लाशों को निकालने में कोई प्रतिकिरिया नहीं कर रहा है।
नहर में चल रहा जल प्रवाह बेजुवान जानवरो के लिए मौत का कारण बन रहा है।इससे अंदाजा लगाया जा सकता है की नहर में बह रहा पानी किस हद तक दूषित हो चूका है ,और इसका जिम्मेदार कोई और नहीं है बल्कि हम ही है जिसका खामियाजा बेजुवान जानवरो को अपनी जान देकर चुकाना पड़ रहा है।
कई कई महीनो तक जानवरो की लाशे नहर में यूँ ही पड़ी रहती है। प्रशासन भी उस रस्ते से कई बार गुजरी होगी लेकिन कभी भी प्रसाशन का इस समस्या की और ध्यान नहीं गया। और जायेगा भी कैसे वो तो अपनी गाड़ियों के शीशे चढ़ाकर अपने वह से गुजरते है तो उन्हें जनता या अन्य जीव जंतु किस समस्या से गुजर रहे है कैसे पता लगेगा ?
यह तो केवल नहर में मरे पड़े जानवरो की बात थी लेकिन आये दिन ऐसे कई मामले सामने आते है जिसमे कोई न कोई जानवर इंसान की किसी न किसी गलती के कारण अपनी जान गवा देता है। कभी कोई गऊ माता मेन होल में गिर जाती और अपनी जान गवा देती है। ऐसे ही के मामले आये दिन गौशाला से भी सामने आते ही रहते है हाल ही में गौशाला में 500 गऊ माता ने अपनी जान गवई थी।
गौशाला जिससे गाऊँ माताओं का सुरक्षा केंद्र मन जाता है अगर वही पर गाये अपनी जान गवा रही है तो अन्य जगह जानवर कैसे सुरक्षित रहेंगे। यह सवाल प्रसाशन की लापरवाही पर एक बहुत बड़ा प्रश्न चिन्ह लगता है ??? और मजबूर करता है पूछने पर की कहा है प्रशासन और क्या कर रही है इन बेजुबा जानवरो के लिए ??